
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे व्यस्तम और कमाऊपूत रेलवे जोन बिलासपुर की स्थापना के लिए प्रदेश के सभी दलों के लोगों की अथक मेहनत ,धरना ,आंदोलन वार्ता का नतीजा यह रहा कि हमारे बिलासपुर रेल मंडल को नया जोन बनने का अधिकार मिला।
मालूम हो कि इस रेलमंडल को सदैव रेलवे के उच्चाधिकारियों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता हैं और रेलवे के ये उच्चाधिकारी अपने मनमाने फैसलों से आम जनता यात्रियों के लिए परेशानियां भी पैदा करते हैं दिल्ली बोर्ड ,कोलकाता के उच्चाधिकारियों के आगमन से पहले यहां अपनी व्यवस्था दुरुस्त करने की आदत हैं फिर पुराने रवैये पर आ जाते हैं। और अपनी इन्हीं कमियों को छिपाने ये अधिकारी मीडिया से भी दूरी बनाय उच्च अधिकारी बोर्ड के चेयरमैन को भी गुमराह करने से नहीं चूके।
हाल में चेयरपर्सन ऑप रेलवे बोर्ड अश्वनी लोहानी का बिलासपुर आगमन हुआ था। यहां के जिम्मेवार रेलवे अधिकारीयों ने मीडिया के लिए अल्प समय का प्रेस कॉन्फ्रेंस रखा था।
चेयरपर्सन ऑप रेलवे बोर्ड अश्वनी लोहानी की सरलता को लेकर सवाल नहीं है/ रेलवे की व्यवस्था को सुधारने की उनकी मनोकामना को लेकर संशय नहीं /वह सच्चे मन से अपनी बात कह रहे थे , इससे भी इनकार नहीं /
पर लगता है कि रेलवे को घेरने वाले जटिल सवालों की गंभीरता से या तो वह वाकिफ नहीं हैं, वाकिफ होना नहीं चाहते या जोन अधिकारीयों ने उन्हें वाकिफ होने नहीं दिया है/
काफी समय बाद इतना बड़ा अधिकारी बिलासपुर आया था /उम्मीद थी कि वह अपने बातें दमदार तरीके से कहेंगे/
उनसे काफी तीखे सवाल पूछे गए, जिनके तीखे जवाब देने के बजाय वह सवालों को टालते नजर आए/
उनसे पूछा गया कि एस्ट्रोटर्फ नहीं होने से जोन के खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए रायपुर और रांची जाते हैं,2010 में बिलासपुर में एस्ट्रोटर्प के लिए 5 करोड़ मिले। बावजूद इसके हाकी मैदान नहीं बनाया गया। 2017 में ढाई ढाई करोड़ रूपया रायबरेली और चेन्नई के बीच बांट दिया गया। ब्याज का एक करोड़ 70 लाख रूपए कहां है।
ऐसे सवालों के जवाब में उन्होंने जोन के अधिकारीयों से बात करने को कहा ।
बिलासपुर जोन के अधिकारी चेयरमैन से अपनी खोखली उपलब्धि दिखा कर वाहवाही लूट ली।