बिलासपुर /कुपोषण के पूर्ण रोकथाम एवं निराकरण के लिए जिले में एक अभिनव पहल करते हुए माह नवंबर 2016 से सुघ्घड़ लईका कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। जिसमें अब तक 6711 बच्चे परीक्षण हेतु सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उपस्थित हुए। जिसमें 4288 मध्यम तथा 1224 अति कुपोषित बच्चों का परीक्षण एवं आवश्यक उपचार किया जा चुका है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से वजन त्यौहार व नियमित परीक्षण के द्वारा कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है। जिसके अंतर्गत जिले के प्रत्येक विकासखण्ड के सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रति बुधवार सुघ्घड़ लईका कार्यक्रम के तहत् मध्यम तथा अति कुपोषित बच्चों को निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं पौष्टिक आहार प्रदान किया जा रहा है। इस हेतु आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चिन्हांकित कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं को उनके निकटतम सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर जाती है।
प्रत्येक बुधवार को समस्त सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ग्रामीण चिकित्सा सहायक द्वारा बच्चे का वजन एवं उंचाई लिया जाता है एवं स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान बीमारी की पहचान होने पर निःशुल्क दवा एवं विटामिन का घोल बच्चों को दिया जा रहा हैं। कुपोषित बच्चों के दवाई तथा अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में आवश्यक प्रोटीन पावडर की उपलब्धता महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के अंतर्गत की जा रही है।
अति गंभीर कुपोषित बच्चों को निकटतम एन.आर.सी. जिला अस्पताल, बिलासपुर अथवा सेनेटोरियम अस्पताल, गौरेला भेजा जाता है। जहां बच्चे को 15 दिवस तक भर्ती रखकर आवश्यक पोषण आहार तथा बच्चे की माता को 150 रूपये प्रतिदिवस के मान से क्षतिपूर्ति प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। कुपोषित बच्चें को सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हेल्थ कार्ड के माध्यम से सत्त निगरानी की जा रही है एवं उन्हें माह में 2 बार प्रति बुधवार को स्वास्थ्य केन्द्र में आने हेतु निर्देशित किया जाता है, जिससे उनमें ड्रापआउट की संभावना न्यूनतम हो। माता को अच्छी खानपान तथा बच्चों के देखभाल हेतु सलाह दी जाती है। साथ ही बच्चों की देखभाल तथा अच्छी खानपान आदतों के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाता है।