बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चुनावी वर्ष की हड़ताली फिजा में प्रदेश के ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक भी अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखने विरोध प्रदर्शन की तैयारी में है। इस क्रम में 17 जुलाई को सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया जाएगा। स्वास्थ्य संयोजकों ने एमआर टीकाकरण का बहिष्कार कर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन की भी चेतावनी दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के सभी आरएचओ कैडर के ग्रामीण स्वास्थ्य सर्वेक्षण महिला एवम् पुरुष, पर्यवेक्षक और बीईटीओ कई वर्षों से वेतन विसंगति की मार से जूझ रहे हैं। इसके लिए पूर्व में भी संघ द्वारा कई बार वेतन विसंगति दूर करने की मांग पत्राचार के माध्यम से प्रशासन के समक्ष कर चुकी है।
संघ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों के वेतन विसंगति दूर करने के लिए 27 नवंबर 2013 को कमेटी गठित की गई थी यह कमेटी शासन की उदासीनता के कारण में ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद स्वास्थ्य संयोजक द्वारा 6 जून 2015 को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। उसके बाद 24 एवं 25 अगस्त 2015 को दो दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया, दिनांक 26 अक्टूबर से 5 नवंबर 2015 तक अनिश्चितकालीन हड़ताल भी की गई। जिसमें वेतन विसंगति दूर करने चर्चा हेतु वार्षिक वित्तीय भार सहित छत्तीसगढ़ शासन को भेजा गया। किंतु आज तक उस प्रस्ताव पर स्वीकृति शासन ने प्रदान नहीं की है।
उन्होंने आगे बताया कि कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया है। उनके साथ कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की बैठक अनेकों बार हो चुकी है। इसके बावजूद भी प्रस्तावित वेतनमान देने हेतु सहमति नहीं दी गई। शासन स्तर पर कमेटी की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई। ऐसे में आरएचओ कैडर, शासन एवं विभाग दोनों के द्वारा उपेक्षित हैं। जबकि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले आरएचओ का कार्य अत्यधिक है। अन्य की तुलना में 24 घंटा सेवा एवं अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्वयन के पश्चात सुदूर क्षेत्रों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के बावजूद वेतन विसंगति दूर करने शासन-प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। इस विषय पर शासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए राजधानी रायपुर में प्रांत व्यापी एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखेंगे ऐसा ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक संघ का कहना है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त माह में राज्य भर पर मीजल्स, रूबेला टीकाकरण अभियान है। जिसमें पूरे प्रदेश के 9 माह से 15 वर्ष तक के लगभग 80 लाख बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों द्वारा ही टीकाकरण का कार्य संपादित किया जाता है एवं स्वास्थ्य संयोजकों के द्वारा ही लक्ष्य को प्राप्त करने कार्य योजना तैयार की जाती है। आरएचओ कैडर की बिना इस अभियान को पूर्ण कर पाना संभव नहीं है। संघ ने चेतावनी दी है कि शासन द्वारा यदि समय पर उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो उन्हें मीजल्स, रूबेला टीकाकरण अभियान कार्यक्रम का बहिष्कार कर अनिश्चितकालीन आंदोलन करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा। इस दौरान उप प्रांताध्यक्ष मिजा कासिम, प्रांतीय सह-सचिव मोहम्मद जहांगीर, संभाग अध्यक्ष शत्रुघ्न केवट, संभाग सचिव गजेंद्र भोसले, जिला अध्यक्ष बिलासपुर आर पी अहिरवार, जिलाध्यक्ष जांजगीर जगन्नाथ गोस्वामी, जिला अध्यक्ष मुंगेली राजाराम गोयल मौजूद रहे।