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स्वास्थ्य विभाग के सरकारी क्वाटर्स में संविदा कर्मचारियों का डेरा……


बिलासपुर /तीन साल पहले पीडब्लूडी द्वारा  लाखों की लागत से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिये बनाया गया मकान संविदा कर्मचारियों का मुफ्त  में डेरा बन गया है वहीं बीएमओं कोटा पर नियमित कर्मचारियों नें लेन देन कर संविदा कर्मचारियों को क्वार्टर एलाटमेंट किये जाने का संगीन आरोप लगाते हुए इसे नियम विरुघ्द बतलाते हुए जांच की मांग की है।

लाखों के भवन पर संविदा कर्मचारियों का कब्जा

कोटा एसडीएम कार्यालय के निकट स्वास्थ्य विभाग के नियमित कर्मचारियों और डाॅक्टर्स के लिये क्वाटर्स बनाये गये थे जिसे नियमत डाक्टर्स और नियमित स्वस्थ्य कर्मचारियों को एलाट किया जाना था किन्तु कोटा बीएमओं प्रदीप अग्रवाल नें मनमानी करते हुए ज्यादातर क्वार्टर संविदा कर्मचारियों को एलाट कर दिया। नियमित कर्मचारियों का आरोप है कि बीएमओ कोटा नें लेनदेन कर संविदा कर्मचारियों को क्वाटर्स एलाट किया। सालों से दुसरी जगह किराये पर रह रहे नियमित  कर्मचारियों को उम्मीद थी की क्वाटर्स बन जाने पर उन्हे ही एलाट किया जायेगा नियमित कर्मचारियों की मानें तो बने क्वाटर्स पर अगर नियमित  कर्मचारी रहते तो शासन दवारा उनके वेतन से एचआरए का एक निश्चित राशि काटी जाती किन्तु संविदा कर्मचारियों को मुफ्त में रहने मिल रहा है।

शासन को लाखों का लग रहा चूना

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के नाम पर बना क्वार्टर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के कब्जे है उन्हे किराया नहीं देना होता वहीं नियमित कर्मचारी दुसरी जगह किराये पर रहते हैं  उन्हें बीएमओं कोटा नें क्वाटर्स एलाट नहीं किया। संविदा  कर्मचारियों के मुफ्त में रहने से शासन की आखों में धूलझोंक कर शासन को लाखों का चुना लगाया जा रहा है।

पीडब्लूडी के एसडीओ करते हैं  निवास

हद तो तब हो गई जब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिये बनाए क्वार्टर पर पीडब्लूडी के एक एसडीओं कोटा को रहते पाया गया। एसडीओ की मानें  तो उन्हे एसडीएम    कोटा के कहने पर क्वार्टर एलाट किया गया है। सवाल उठना लाजमी है कि एक दंडाधिकारी नें भी नियमों का पालन क्यों नहीं किया।

आर्युवैदिक डाॅक्टर बेखौफ चला रहा क्लीनिक

आपको बताना लाजमी होगा कि कोटा में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिये बनाये गये क्वाटर्स में डाॅक्टरों के लिये भी क्वाटर्स बनाए गये हैं जिनमें से एक क्वाटर्स में एक डाॅक्टर एस एस पेन्द्रों ने ंतो अपनी क्लीनिक भी संचालित कर रखी है वैसे तो ये आर्युवैदिक डाॅक्टर है लेकिन इन्हें  भी किस नियम के तहत क्वाटर्स एलाट किया गया है इसका जवाब बीएमओं कोटा के पास नहीं है।

सरकारी क्वाटर्स होने के बाद भी हेड क्वार्टर में नहीं रहते बीएमओं

मजे की बात ये है कि सरकारी रुपयों से शासन नें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के लिये क्वाटर्स बनाये ताकि आम जनता को समय पर स्वास्थ्य सुविधाऐं मिल सके किन्तु बीएमओ कोटा को ना तो जनता के स्वास्थ्य से कोई मतलब है ना ही शासन के बनाये नियम कायदों की परवाह और ना ही उच्च अधिकारियों का भय। इसलिये ही बीएमओ कोटा स्वास्थ्य विभाग के डाॅक्टर क्वाटर्स में रहना छोड़ बिलासपुर से अप डाउन करते है।

बहरहाल देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा शासन के बनाये नियमों को ताक पर रख मनमानी पर उच्च स्वास्थ्य अधिकारी लगाम लगाते भी है या फिर इसी रवैये पर स्वास्थ्य महकमा अपना काम करते रहेगा।

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