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धान समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी ऊँट के मुंह मे जीरा : कांग्रेस….

बिलासपुर। जिला कांग्रेस कमेटी ने भाजपा को किसानों के अहित की सरकार बताते हुए भाजपा सरकार द्वारा किए गए धान समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को ऊँट के मुंह में जीरा करार दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा केवल वादा करना जानती है, वादा निभाना भाजपा की फितरत में नहीं। घोषणा पत्र में किए गए सभी वादों को भाजपा ने खुद ही चुनावी जुमले का नाम दे दिया है और आज प्रदेश में किसानों की स्थिति बद से बद्तर  होती जा रही है, जो दुर्भाग्यजनक है। इसके बावजूद भाजपा की केंद्र मोदी सरकार और राज्य में रमन सरकार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर केवल और केवल अपना लाभ देख रही है।

                             कांग्रेस ने भाजपा शासित केन्द्र एवं राज्य सरकार को संवेदनहीन एवं मजदूर किसान विरोधी बताया है। उन्होंने कहा है कि चार वर्षों के शोषण के बाद धान खरीदी में 200 रू. के समर्थन मूल्य में वृद्धि को अपर्याप्त बताया है। जिला कांग्रेस ने भाजपा चुनावी घोषणा पत्र अनुसार धान के 2100 प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य व 300 रुपए के बोनस की मांग दोहराते हुए कहा है कि केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में भी चुनावी संकल्प पत्र के अनुसार वादा पूरा नहीं किया गया है।

                    जिला कांग्रेस कमेटी ने केन्द्र भाजपा सरकार द्वारा 14 फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी को मामूली बताते हुए चुनावी वर्ष मेें भी इसे गहरा धोखा करार दिया है। उन्होंने केंद्र व मोदी सरकार के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी को ऊँट के मुंह में जीरा करार दिया है। इसे सुनियोजित साजिश बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा की अटल सरकार ने 6 वर्षों में 60 रुपए की बढ़ोत्तरी की थी अब मोदी सरकार ने चार वर्षों में 200 रुपए और अब चुनावी वर्ष में 200 रुपए की अपर्याप्त बढ़ोत्तरी की है। 

                     इस पर जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी व मोदी सरकार के कुल मिलाकर 11 वर्षों में भाजपा शासित सरकार ने 460 रुपए की बढ़ोत्तरी की है। जबकि कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने 10 वर्षों में 890 रुपए की बढ़ोत्तरी समर्थन मूल्य में की थी। हार की कगार पर खड़ी भाजपा की मोदी व रमन सरकार को चुनावी वर्ष में किसानों की याद आयी वह भी खुले मन से नहीं। उन्होंने आगे बताया कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक अभी भी समर्थन मूल्य 476 रुपए कम है। भाजपा के विगत विधानसभा चुनावों में घोषणा पत्र की अपेक्षा भी कीमत अभी 350 रुपए कम है। मोदी व रमन सरकार संवेदनहीन बनकर सोती रही है।

                        आगे अपनी बात रखते हुए जिला कांग्रेस महामंत्री व प्रवक्ता अनिल सिंह चौहान ने कहा है कि फसल बीमा, जटिल कर्ज प्रक्रिया, धान के समर्थन मूल्य सभी मुद्दों पर भाजपा सरकार ने किसानों की आड़ में बीमा कंपनियों एवं चंद उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाकर कमीशनखोरी का खेल खेला है। पेट्रोल, डीजल  से लेकर मंहगी बिजली ने लागत को बढ़ाया है। वहीं बीज, खाद, कीटनाशक, कृषि उपकरणों पर पहली बार केन्द्र सरकार द्वारा कर लगाना या करों में बढ़ोत्तरी से बढ़े दामों, मजदूरी सहित संसाधनों के दाम में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी, प्राकृतिक आपदाएं आदि को लेकर फसल के उत्पादन के लिए भाजपा सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड या आंकलन सर्वथा गलत है। उन्होंने आगे बताया कि किसानों को फसल उत्पादन की लागत के सरकार के आंकड़े भ्रामक हैं, बढ़ाया गया समर्थन मूल्य कहीं से डेढ़ गुना सिद्ध नहीं होता है।

                                   इस पर प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव, जिला शहर अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर ने भाजपा सरकार से स्वामीनाथन रिपोर्ट की याद दिलाते हुए कहा है कि भाजपा अपने संकल्प पत्र मेें स्वामीनाथन की सभी अनुशंसाओं को लागू कर किसानों के कल्याण की बात की थी, जिसकी एक भी बात को भाजपा शासित राज्य व केन्द्र सरकार लागू नहीं कर सकी है। पूर्व बीडिए अध्यक्ष शेख गफ्फार, वैजनाथ चंद्राकर, प्रदेश कांग्रेस सचिव आशीष सिंह, रामशरण यादव, महेश दुबे, अर्जुन तिवारी, विवेक वाजपेयी, पंकज सिंह, कृष्ण कुमार यादव, प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय, शैलेष पांडेय ने भाजपा को किसान विरोधी पार्टी बताते हुए कहा है कि किसानों के धान का एक-एक दाना खरीदने का संकल्प लेने वाली भाजपा अब 15 क्विंटल की सीमा क्यों तय करती है। किसानों को 2100 रुपए समर्थन मूल्य व 300 रुपए का वादा क्या जुमला था। 

                       वहीं पूर्व महापौर राजेश पांडेय, वाणी राव, पूर्व जिला शहर अध्यक्ष विजय पांडेय, रविन्द्र सिंह, किसान कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुनील शुक्ला, प्रवक्तागण मो. जस्सास, ऋषि पांडेय, भास्कर यादव ने किसानों के लिए खाद बीज की कालाबाजारी से लेकर, सिंचाई बिजली, मंहगे व जटिल ऋण, धान खरीदी व सत्यापन की जटिल प्रक्रिया से लेकर धान की बिक्री तक को भाजपा की बिचैलियों को लाभ पहुंचाने की सुनियोजित साजिश बताते हुए समर्थन मूल्य के निर्धारित मानदंडों को किसान विरोधी बताया। 

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