
बिलासपुर। नोटबंदी के समय जहां पूरा देश कतार में खड़े रहकर अपने 2 हज़ार 4 हज़ार के नोट बदलवा रहा था, वहीं जिला को-ऑपरेटिव बैंक में 50 करोड़ 29 लाख रुपए 3 दिनों में जमा हुए जिसे अबतक 2 साल होने के बावजूद भी निकाला नहीं गया। यह साफ़ तौर पर मिलीभगत को सिद्ध करता है, इस जिले में किसान कर्ज़ के कारण आत्महत्या कर रहा है 50 हज़ार, 30 हज़ार, 1 लाख, 1.5 लाख के लिए किसान आत्महत्या कर रहा है।
उक्त बातें आज जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के जिला प्रवक्ता विक्रांत तिवारी ने कही, विक्रांत ने मीडिया जनों से बातचीत के दौरान कहा कि आज शांतिपूर्ण तरिके से प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपकर 3 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है आगे तीन दिन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कि गई तो जनता कांग्रेस किसानों के समर्थन में उग्र आंदोलन करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की यह मांग है कि इन सभी जमा पैसों को व अन्य संभाग में जमा पैसों को एकत्रित कर किसानों के हित में उन पैसों का उपयोग करना चाहिए साथ ही यह भी मांग उन्होंने सामने रखी कि नोटबंदी के दौरान 3 दिनों में 50 करोड़ 29 लाख किनके द्वारा जमा किया गया उसे सार्वजनिक किया जाए।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ द्वारा इसके विरोध में आज जिला सहकारी बैंक मर्यादित का घेराव कर बड़े अधिकारियों जांच हेतु ज्ञापन सौंपा। जकांछ आरटीआई रिपोर्ट सार्वजनिक कर दावा किया गया है कि 10 नवंबर 2016 से 14 नवंबर 2016 के बीच नोटबंदी के दौरान सिर्फ 5 दिनों में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर में 50 करोड़ 29 लाख रुपए जमा किए गए हैं, जिसकी अब तक कोई जांच नहीं गई है जनता जोगी कांग्रेस की मांग है कि जल्द से जल्द इस संबंध में जांच कमेटी बैठाई जाए और इन सभी राशि को फ़सल बीमा, सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसानों को मुआवजा राशि वितरण कर समायोजन करने मांग रखी है।
जनता जोगी कांग्रेस ने दावा किया है कि 10 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 के बीच छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक मर्यादित में 280 करोड रुपए के कुल पुराने नोट जमा हुए हैं, जिसमें से 10 नवंबर से 14 नवंबर के बीच सिर्फ 5 दिनों में 5 करोड़ 29 लाख रुपए जमा किए गए हैं, इस बाबत जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने निष्पक्ष जांच करने व इतनी मात्रा में नगद जमा करने वाले खातेदारों के नाम भी सार्वजनिक करने की मांग की है।
जकांछ ने भारतीय जनता पार्टी पर तीख़ा कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्राधिकार के बैंकों ने नोटबंदी के समय पुराने नोटों को बदलने और कालेधन को सफेद करने का काम किया जिसमें उन्होंने कई करोड़ रुपए के नए नोटों में तब्दील कर आया है। जिला सहकारी बैंक में भी ऐसा ही मामला सामने आया है, आरटीआई ख़ुलासा मिलीभगत की ओर इशारा करता है।