नई दिल्ली। कांग्रेस उस विवादास्पद विधेयक पर अपना रूख तय करने से पहले व्यापक विपक्ष से मशविरा करेगी जिसमें एकसाथ तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और इसे संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 गत सप्ताह लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है और इसे आज राज्यसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में विधेयक पेश किये जाने से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और अन्य पार्टी के नेताओं की आज संसद में अपने चैंबर में एक बैठक बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधेयक के पक्ष में है क्योंकि इसमें एकसाथ तीन तलाक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है।
लेकिन क्या वह उसे प्रवर समिति को भेजने के लिए दबाव डालेगी या नहीं यह कल ही पता चलेगा। सूत्रों ने बताया कि पार्टी विधेयक में संशोधनों के लिए जोर डाल सकती है। इस बीच, एकसाथ तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिकाकर्ता भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने सांसदों को पत्र लिखकर विधेयक में तलाक देने के तरीके तलाक ए अहसन को शामिल करने की मांग की जिसमें मध्यस्थता अनिवार्य है और यह तलाक की प्रक्रिया शुरू होने से पहले न्यूनतम 90 दिन तक चलती है। नई दिल्ली। कांग्रेस उस विवादास्पद विधेयक पर अपना रूख तय करने से पहले व्यापक विपक्ष से मशविरा करेगी जिसमें एकसाथ तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और इसे संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 गत सप्ताह लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है और इसे आज राज्यसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है।
सूत्रों के मुताबिक ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में विधेयक पेश किये जाने से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और अन्य पार्टी के नेताओं की आज संसद में अपने चैंबर में एक बैठक बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधेयक के पक्ष में है क्योंकि इसमें एकसाथ तीन तलाक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है।
लेकिन क्या वह उसे प्रवर समिति को भेजने के लिए दबाव डालेगी या नहीं यह कल ही पता चलेगा। सूत्रों ने बताया कि पार्टी विधेयक में संशोधनों के लिए जोर डाल सकती है। इस बीच, एकसाथ तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिकाकर्ता भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने सांसदों को पत्र लिखकर विधेयक में तलाक देने के तरीके तलाक ए अहसन को शामिल करने की मांग की जिसमें मध्यस्थता अनिवार्य है और यह तलाक की प्रक्रिया शुरू होने से पहले न्यूनतम 90 दिन तक चलती है।