
बिलासपुर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश पांडे ने उनके खिलाफ़ हुए एफआईआर को बेबुनियाद बताया है, उन्होंने कहा कि ऐसा उन्हें फंसाने के लिए किया जा रहा है। मैंने कोई ऐसा पैसा कमाया नहीं जिसके कारण मुझपर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा लगाई जाए, मुझे इस बाद का बेहद अफ़सोस है, क्योंकि मेरे व्यक्तित्व पर झूठा आरोप लगाकर मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है जबकि पुलिस ने ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया न ही एफआईआर पर ऐसा कुछ भी लिखा हुआ है।
पाठकों को बताते चलें कि 14 जून को कोटा थानें में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सक्रिय कांग्रेस नेता शैलेश पांडे के विरुद्ध स्थानीय प्रमेंद्र मानिकपुरी नाम के व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें उसने शैलेश पांडे के खिलाफ भ्रष्टाचार से पैसे कमाने व अन्य आरोप लगाए थे। इस मामले में अपनी बात रखने पीसीसी प्रवक्ता शैलेश पांडे ने आज प्रेस वार्ता का आयोजन किया था शैलेश ने झूठी एफआईआर दर्ज करवाने वाले प्रमेंद्र के बारे में बताया कि सीवी रमन यूनिवर्सिटी में पहले प्रमेंद्र के खिलाफ फर्जी अंकसूची, नकल प्रकरण जैसे अन्य मामलों जैसे अन्य मामलों में शिकायत दर्ज कराई है।
शैलेश पांडे ने बताया कि प्रमेंद्र मानिकपुरी ने एफआईआर में कहा है कि उसके द्वारा विनियामक आयोग, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, मानव संसाधन मंत्रालय में शिकायत की गई है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके पश्चात कोटा पुलिस ने बिना उत्तर कार्यालयों से वस्तु स्थिति की जानकारी प्राप्त किए ही आनन-फानन में एफआईआर दर्ज कर लिया। नेता शैलेश ने बताया कि यह सीधे-सीधे राजनीतिक षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। यह सिद्ध कर रहा है कि सत्ताधीन नेताओं का पुलिस विभाग पर स्पष्ट नियंत्रण है। क्योंकि एफआईआर दर्ज होने की सूचना पुलिस के वेब पोर्टल पर पोर्टल पर दर्ज होने के पूर्व सोशल मीडिया में दिखाया जाने लगा, शैलेश ने इन सभी प्रश्नों का जवाब मांगा है और कहा है कि एफआईआर के समुचित उत्तर दे सकूं इसलिए मुझे यह सब जानकारी दी जाए।
प्रमेंद्र के खिलाफ़ छात्राओं ने की शिकायत
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीसीसी प्रवक्ता शैलेश पांडे ने शपथ पत्र भी सार्वजनिक किए इसमें रोशनी यादव कोटा निवासी ने प्रमेंद्र मानिकपुरी के खिलाफ पूर्व में पीजीडीसीए कोर्स की डिग्री देने के एवज में ₹10,000 लेना बताया, जिसमें छात्रा ने कहा है कि उसके पश्चात उन्हें न पैसे वापस किया गया ना ही कोई डिग्री दी गई, वहीं नेहा जायसवाल व प्रियंका शुक्ला नामक छात्रा ने 12,000 लेकर भी पीजीडीसीए की डिग्री नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कहा कि और भी कई छात्र-छात्राओं से प्रमेंद्र मानिकपुरी ने फर्जी डिग्री बनवाने के नाम पर पैसे लिए हैं, वहीं वर्ष 2010 में प्रमेंद्र को छात्र छात्राओं को नकल करवाते हुए एसडीएम ने रंगे हाथ पकड़ा था।
बिना किसी पत्राचार के इतना बड़ा जुर्म दर्ज करना संदेहास्पद
शैलश ने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा बिना मुझसे पूछताछ और मेरी जानकारी के बगैर बिना पत्राचार के इतना बड़ा जुर्म दर्ज कर लिया गया, जैसे कि मैं कोई आदतन पुराना अपराधियों ऐसा लगता है कि पुलिस द्वारा सत्ता के दबाव में यह कार्य मुझे परेशान करने और मुझे फंसाकर किसी नेता या मंत्री को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है। मुझे भान है की किसी साजिश षड्यंत्र के तहत ऐसा किया जा रहा है उन्होंने आगे बताया कि इस बारे में एफआईआर दर्ज करने के पूर्व यूनिवर्सिटी से भी किसी भी प्रकार से संपर्क नहीं किया गया, जो कई प्रश्नों को खड़ा करता है।
एफआईआर के साक्ष्य सार्वजनिक करने की मांग
पीसीसी प्रवक्ता शैलेश पांडे ने कहा कि पुलिस द्वारा बिना किसी साक्ष्य के एफआईआर दर्ज कर लिया गया है, पुलिस का कहना है कि शिकायतकर्ता ने प्रपत्र और वीडियो उन्हें दिए हैं, जिससे पुलिस विभाग द्वारा आधी रात को एफआईआर दर्ज किया गया। इस पर शैलश ने कहा कि मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि कौन से साक्ष्य प्रपत्र और वीडियो शिकायतकर्ता ने पुलिस को दिए, पुलिस उन्हें सार्वजनिक करें ताकि उनका स्पष्टीकरण मैं जवाब के रूप में दे सकूं।