बिलासपुर। शैलेंद्र जायसवाल ने कहा है कि स्थानीय विधायक और मंत्री की निष्क्रियता और नाकामी की वजह से बिलासपुर से देश का एक उन्नत शिक्षण संस्थान आईआईटी शहर से बाहर चला गया है जो यहां के युवा भविष्य की आर्थिक क्षति है, उन्होंने इसका जिम्मेदार स्थानीय मंत्री व विधायक को ठहराया। नरेंद्र मोदी ने आईआईटी की आधारशिला भिलाई में रखी, इसको देख कर बहुत तकलीफ हुई, जबकि संस्थान की आधारशिला हमारे बिलासपुर में रखी जानी चाहिए थी। शैलेंद्र ने कहा स्थानीय विधायक की निष्क्रियता और बिलासपुर को एक कस्बा बना देने की उनकी गंदी सोच के कारण उस संस्थान को बिलासपुर से दूर कर दिया गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता शैलेंद्र जायसवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने पश्चात प्रदेश में उन्नत शिक्षण संस्थान खोले जाने थे उस के तहत 2010 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा आईआई एम की स्थापना और 2012 में एम्स की स्थापना रायपुर में की गई। जब आईआईटी स्थापना की बात आई तब इसे बिलासपुर शहर में स्थापित करने का फैसला लिया गया था, इसके लिए केंद्र ने प्रस्ताव मांगा था। पहले प्राथमिकता बिलासपुर को दी गई थी लेकिन इसके लिए आवश्यक लगभग 400 एकड़ भूमि देने में बिलासपुर शहर असमर्थ रहा और आईआईटी जैसे संस्थान हमारे शहर से निकल गया।
नगरीय निकाय मंत्री पर आरोप लगाते हुए प्रवक्ता शैलेंद्र ने आगे तंज कसते हुए कहा कि बिलासपुर नगर निगम को मंत्री अपनी जागीर समझते हैं, इसे एक छोटे से कस्बे में तब्दील कर दिया गया है, मात्र 65 सौ एकड़ में फैले बिलासपुर में कोई भी शासकीय भूमि रिक्त नहीं, जिस पर कोई भी केंद्र योजनाएं आने पर उस खाली जमीन को आवंटित किया जा सके। कांग्रेस द्वारा निगम में लाए गए प्रस्ताव, जिसमें 29 गांव को बिलासपुर शहर में जोड़ा जाना था। जिससे बिलासपुर का रकबा 65 सौ एकड़ से बढ़कर 20 हज़ार एकड़ हो जाता, इनमें कोनी और बिरकोना में खाली पड़ी सैकड़ों एकड़ खाली शासकीय भूमि से आसानी से 400 एकड़ भूमि दी जा सकती थी, जिससे उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान बिलासपुर में स्थापित होता। जिससे प्रेरणा लेकर यहां के छात्र इस संस्थान में सिलेक्ट होते और बिलासपुर का नाम देश विदेश में रोशन करते।