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छत्तीसगढ़ की बदलती तस्वीर में एनएमडीसी निभा रहा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका….

 

जगदलपुर। अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए देश और दुनिया में विख्यात बस्तर की तस्वीर बदल रही है। साल दर साल स्थानीय जनजातीय लोगों का जीवन बेहतर हुआ है। स्वास्थ्य, शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की कठिनाइयां दूर हुई है। यह सब प्रदेश और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से संभव हो सका है। साथ ही एनएमडीसी जैसी ख्याति प्राप्त सरकारी कंपनियों की भी इसमें महती भूमिका रही है, जिनके जरिए नैसर्गिक सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत संचालित गतिविधियों से छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों में विकास की एक नई इबारत लिखने में मदद मिली। 

छत्तीसगढ़ में विकास के लिए एनएमडीसी ने करोडों रूपये की योजनाओं में अपनी सहभागिता निभाई है। प्रदेश के वन विभाग को तीन सौ करोड रूपये तथा बस्तर के विकास के लिए मेडिकल काॅलेज हेतु 50 लाख रूपये तथा नगरनार स्टील प्लांट में पर्यावरण सुरक्षा हेतु वन विकास निगम तथा वन विभाग को करोडों रूपये देकर सहभागिता निभाई है। एनएमडीसी के चेयरमेन तथा हैदराबाद एवं किरन्दुल तथा बचेली के अधिकारियों के अर्थक प्रयास से आज एनएमडीसी नवरत्न कंपनी के रूप में अपना अस्तित्व कायम किया है। पिछले तीन माह में कंपनी ने भारत सरकार से दो पुरस्कार प्राप्त किये है।

एनएमडीसी कंपनी ने अपनी कौशल विकास योजना के जरिए रोजगारपरकता को बढ़ावा देकर बेरोजगार हाथों को न केवल रोजगार का स्थायी आधार दिया, बल्कि उन्हें सम्मान के साथ जीना भी सिखाया। यही वजह है कि आज क्षेत्रीय जनजातीय के लोग अंधेरों के अभिशाप से मुक्त होकर अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर पाने में सहजता का अनुभव कर रहे हैं। उनका जीवन स्तर भी पहले के मुकाबले बेहतर हुआ है। 

कंपनी से मिलने वाली निःशुल्क चिकित्सा, मोबाइल हेल्थ केयर जैसी सुविधाओं से जहां जनजातीय लोगों को स्वस्थ्य और निरोग रहने में मदद मिल रही है, वहीं दंतेवाड़ा में एजूकेशन सिटी की स्थापना, नर्सिंग एजूकेशन, छू लो आसमां और अन्य शैक्षिक प्रकल्पों से उनकी भावी पीढ़ी के सपनों को नए पंख मिल गये हैं। बस्तर की प्रतिभाएं अब वनांचल से निकलकर आईएएस बन रही हैं, आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों का रूख कर रही हैं। यह सब बदलाव अनायास ही नही हुआ। बस्तर की मुख्य मार्गों पर पगडण्डियां नहीं, चौड़ी पक्की और डामरीकृत सड़कें दिखती हैं। क्षेत्र में सड़कों और पुलों का जाल बिछ गया है और बिछ भी रहा है। गत वर्ष छत्तीसगढ़ शासन के विशेष सचिव रहे एन बैजेंद्र कुमार के एनएमडीसी के सीएमडी बनने के बाद यहां काफी बदलाव दिखलाई दी है। छत्तीसगढ़ को उनके जुड़ाव का ही नतीजा है कि न केवल परियोजना क्षेत्रों बल्कि आसपास के इलाकों में भी विकास योजनाओं ने तेजी आयी है।

जमीन से जुड़े कुमार सीएसआर को महज एक सांविधिक आवश्यकता न मानकर लोक कल्याण के लिए पीएसयू कंपनियों की स्थानीय लोगों के साथी भागीदारी और हिस्सेदारी पर खासा जोर देते रहे हैं।  यही वजह है कि बस्तर की इस बदलती तस्वीर में एन.एम.डी.सी. बढ़ चढ़कर अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही है। 

छह दशकों की अपनी यात्रा में केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन इस कंपनी ने सार्वजनिक क्षेत्र के एक औद्योगिक उपक्रम के रूप में जो छवि बनाई है और ख्याति अर्जित कर उपलब्धियों का अनूठा आयाम स्थापित किया है वह निश्चय ही एक विकासशील राष्ट्र की अपेक्षाओं में खरे सिद्ध होने की मिसाल है।

 

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