
बिलासपुर। नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर उससे शादी करने वाले बालिग युवक को पुलिस ने धर दबोचा है, लड़के ने नाबालिग लड़की को भगाकर मंदिर में शादी कर ली इसके बाद वह नाबालिग लड़की के साथ अपने गांव के घर में ही रहने लगा, लड़की के माता-पिता की शिकायत पर बेलगहना पुलिस ने आरोपी युवक के घर दबिश देकर उसे व लड़की को गिरफ्त में ले लिया है।
पूरा मामला बेलगहना थाना चौकी अंतर्गत का है यहां ग्राम लुफ़ा की रहने वाली लड़की अपने पेण्ड्रा रोड के ग्राम कुड़कई में अपने सम्बन्धियों के यहां आती थी, इस दौरान उसका परिचय उसी गांव के एक युवक से हो गया। इसी दरमियान जब लड़की खोगसरा रेलवे के अधीन कार्य करती थी, जनवरी माह में ग्राम कुड़कई का लड़का उसे भगाकर अपने साथ ले गया दोनों ने अमरकंटक के मंदिर में बिना किसी को बताए शादी कर ली, इसके पश्चात दोनों लड़के के घर में पति-पत्नी के रूप में जीवन व्यतीत करने लगे।
लड़की के माता-पिता ने इस मामले में बेलगहना पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज कराई, FIR कर पुलिस ने धारा 363 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना के दौरान लड़के के घर से दोनों को गिरफ्तार किया, इसके पश्चात लड़के को आगे की कार्यवाही करते हुए जेल भेज दिया गया।
वहीं लड़की को जब मेडिकल चेकअप के लिए करगीरोड कोटा स्थित स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तो यहां के डॉक्टर अवकाश पर थे, आनन-फानन में जब पुलिस नाबालिग लड़की को लेकर रतनपुर स्थित स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो यहां उपस्थित डॉक्टर का जवाब था कि वह इस कार्य के लिए अधिकृत नहीं हैं। बात यहां भी नहीं बनी तब पुलिस नाबालिग जो लेकर बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे पर यहां जिस डॉक्टर का यह काम है वह मौजूद नहीं थी, वह कोर्ट पेशी में गयी थी। न्यूज़ हब इनसाइट की टीम ने जब इस मामले को जिला स्वास्थ्य अधिकारी श्री बोर्डे के संज्ञान में लाया तो उन्होंने बताया कि वह अभी शहर से बाहर हैं उन्होंने फ़ोन पर पूरे मामले की जानकारी लेकर आवश्यक दिशा निर्देश देने की बात कही, वहीं जब इस मामले में हमने पुलिस अधिकारी से बात की तो उन्होंने इस घटना को महज़ एक इत्तेफ़ाक बताया।
अब हालात आप समझ ही सकते हैं एक नाबालिक को मेडिकल चेकअप के लिए 30 से 40 किलोमीटर दूर आकर इतनी तकलीफों का सामना करने के बावजूद भी हार ही मिली, पुलिस नाबालिक को लेकर को लेकर लेकर बेलगहना से करगी रोड कोटा यहां से रतनपुर इसके पश्चात बिलासपुर लेकर आई यहां भी बड़ी मुश्किल के साथ उसका स्वास्थ्य परीक्षण शाम के 7:30 बजे हुआ, अब यहां से नाबालिग रात के अंधेरे रास्तों में वापस जायेगी, जो उसकी सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी सही नहीं है। इससे बड़ा दुर्भाग्य भला और क्या हो सकता है?
एक और जहां प्रदेश सरकार धूमधाम से अपने 15 साल के कार्यकाल के विकास का ढिंढोरा पीटने निकली है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामले उन तमाम दावों के माखौल उड़ाते नजर आते हैं प्रदेश के मुखिया डॉ रमन सिंह प्रदेश के कोने कोने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जाकर अपनी सरकार की उपलब्धि गिना रहे हैं वहीं इसके विपरीत एक नाबालिक को स्वास्थ्य जांच के लिए 50 से 60 किलोमीटर दूर-दूर तक भटक कर शहर आना पड़ता है।