
बिलासपुर। बिलासपुर जिले के प्रभारी व स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर भले ही जिले के कलेक्ट्रेट मंथन सभागार में जिला पंचायत अधिकारी द्वारा पेश कागज़ी आंकड़ों पर संतुष्ट होकर चले जाते हों, किन्तु जिला पंचायत बिलासपुर के सात जनपदों के ग्राम पंचायतों में बसने वाले लाखों ग्रामीणों का हाल बेहाल है। शासन की योजनाओं का लाभ पूर्णरुप से नहीं मिल रहा है। शासन की योजनाओं का लाभ और समस्याओं के निराकरण के लिए उन्हें जनपद से लेकर जिला पंचायत और कलेक्टर कार्यालय तक आना पड़ रहा है। ग्राम पंचायतों में ना तो ग्राम सभा का आयोजन सही समय पर होता है ना ही ग्राम पंचायत का वार्षिक प्रतिवेदन तैयार कर एक निश्चित तिथि पर कार्यावाही सुनिश्चित करवाई जाती है। इसकी बानगी देखने को मिली बिल्हा जनपद के विधायक आदर्श ग्राम बहतराई में, जहां ग्राम पंचायत में ताला लगा हुआ था। ग्रामीण सचिव से, महीनों से नहीं मिले पेंशन और आधे अधूरे प्रधानमंत्री आवास की किश्त राशि की जानकारी लेने आये हुए थे। इंतजार करते ग्रामीणों नें बतलाया की सचिव माॅल में पिक्चर देखने गया है हमनें भी इस बात की पुष्टि के लिए उसके मोबाईल पर संपर्क किया तो सचिव नें माॅल में पिक्चर देखने की बात कही। ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की मूलभूत समस्याओं से अपने उच्च अधिकारी को अवगत कराने वाला पंचायत का प्रमुख अधिकारी ही कार्यालय में ताला लगा मनोंरजन करेगा तो ग्रामीणों की समस्या का निदान कौन करेगा? ग्रामीणों नें बतलाया कि पूर्व में पदस्थ सचिव को जिला पंचायत अधिकारी द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने की शिकायत पर यहां से हटा दिया था। वर्तमान में पदस्थ सचिव अनूप यादव का हाल भी कुछ ऐसा ही है वह भी सप्ताह में एक या दो दिन ही आता है।
समस्या यहीं खत्म नहीं होती, हमनें ग्रामीणों की समस्यों से बिल्हा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नायक को अवगत करा उनके मोबाईल पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। एक सौ से ज्यादा पंचायतों और लाखों ग्रामीणों को शासन की योजनाओं और उनकी मूलभूत समस्याओं के निराकरण के लिए पदस्थ उसी जनता के पैसों से वेतन पाने वाले जिम्मेदार अधिकारी ही फोन नहीं उठायेगें तों फिर कैसे कहें, की उनके जनपद के अधीन पंचायतों सभी कुछ ठीक है। हालांकि बाद में जनपद सीईओ नें मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि सचिव से स्पष्टिकरण मांगा जायेगा और आवश्यक कार्यवाही की जावेगी।
फिर हमनें बहतराई के ग्रामीणों की समस्या से जनपदों के मुखिया और जनता के हितों के लिए पदस्थ जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी फरिहा आलम सिद्दीक़ी से मोबाईल पर संपर्क साधने उनके नबंर पर फोन किया परंतु उन्होने भी फोन रिसीव नहीं किया। जनता के भरे टेक्स से वेतन प्राप्त करने वाली इस अधिकारी को भी जनता की समस्याओं से कोई मतलब नहीं था। मतलब साफ था कि सात जनपद पंचायत के लाखों ग्रामीणों को शासन की योजना का लाभ दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण करने शासन द्वारा बैठाई गई जिम्मेदार अधिकारी भी बेपरवाह हैं।
फिर हमनें जिला कलेक्टर के अवकाश पर होने से जिले के एडिशनल कलेक्टर को फोन लगाया और उन्हें आदर्श ग्राम बहतराई के ग्रामीणों की समस्या से अवगत कराते हुए सचिव के कार्य दिवस के दौरान पंचायत में ताला लगा माॅल में सिनेमा देखे जाने की जानकारी देते हुए उनका पक्ष जानना चाहा, जिले के एडिशनल कलेक्टर का जवाब सुनकर हम दंग रह गए। उनका साफ कहना था सबका अपना अपना जीवन है अब हर समय वह लोगों के लिए उपस्थित नहीं रह सकता,वह फिल्म देखने जाय या कहीं घूमने जाय, इसके लिये उसे अनुमति की जरुरत नहीं है। किसी सरकार के विकास योजनाओं को कागजों से निकाल धरातल पर आम आदमी तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी का ऐसा वक्तव्य सरकार की कमजोर कड़ी कहलाता है। लोकतंत्र में न्याय की गुहार अपने आप में सरकार और तंत्र को कटघरे में ला खड़ा करता है।
बहरहाल प्रदेश के मुखिया जरुर 27 जिलों में घूम घूम सरकार की योजनाओं और आम जनता की समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं किन्तु प्रशासन में निम्न से उच्च पदों पर आसीन अधिकारी सरकार की नीति पर कुल्हाड़ी चला उसकी जडें कमजोर रहे हैं।