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कांग्रेस ने मनाई श्रीकांत वर्मा की जयंती…….

बिलासपुर। देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीकांत वर्मा की पुण्यतिथि कांग्रेस ने मनाई, इस दौरान नेहरू चौक पोस्ट ऑफिस चौक स्थित उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कांग्रेस जनों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव, कार्यकारिणी सदस्य राजू यादव ने उनके जीवन के संदर्भ में अपनी बात रखी उन्होंने कहा, की श्रीकांत वर्मा बिलासपुर में जन्में और पले बढ़े और राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य और पत्रकारिता के साथ राजनीति में अपने आप को स्थापित किया, शहर का नाम पूरे देश में गौरान्वित किया।

इस अवसर पर जिलाध्यक्ष शहर नरेन्द्र बोलर, पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला, विजय पाण्डेय, प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय, प्रदेश सचिव महेश दुबे, पूर्व महापौर वाणी राव, राजेश पाण्डेय, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सीमा पाण्डेय, धर्मेश शर्मा, आशा सिंह, संध्या तिवारी, अनिल चौहान हान, विनोद साहू, कांता सिन्हा, आमना खाना, आशा पाण्डेय, सावित्री सोनी, गणेश रजक, अनिल शुक्ला, निर्मल माणिकपुरी, करण गोरख, महेन्द्र गांगोत्री, अर्जुन सिंह, सोनी सहित कांग्रेसजनों उपस्थित रहे।

श्रीकांत वर्मा का व्यक्तित्व

श्रीकांत वर्मा का जन्म 18 नवंबर 1931 को बिलासपुर में हुआ था, उनकी मृत्यु 25 मई 1986 को न्यूयाॅर्क में हुई। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर रायपुर में हुई तथा उच्च शिक्षा इलाहाबाद एवं नागपुर में संपन्न हुई। फिर वो दिल्ली चले गये जहाँ पत्रकारिता में दशकों तक अपने आप को पत्रकार के रूप में स्थापित किया वे मासिक पत्रिका दिनमान के विशेष संपादक रहे। उनकी लिखी हुई कविता संग्रह चर्चित रही, जल सा घर, मगध, चाँद का मुँह टेढ़ा जैसी कई काव्य संग्रह चर्चित रहे। झाड़ियाँ तथा संबाद इनकी प्रसिद्ध कहानी संग्रह है। 20वीं शताब्दी के अंधेरे में एक प्रमुख आलोचनात्मक ग्रंथ है, वे पत्रकारिता के साथ ही राजनीति से जुड़ गए। स्व. इंदिरा गाँधी के प्रिय पात्र रहे, राज्यसभा के सदस्य चुने गये। राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और 80 के दशक में चुनाव अभियान समिति के प्रमुख बनाये गये। 1984 में राजीव गांधी के राजनीतिक विशलेषक और परामर्श दाता रहे, उनके द्वारा गढ़े गये नारे, गरीबी हटाओं, जात पर न पात पर इंदिरा जी की बात पर, कांग्रेस का हाथ आपके साथ। बहुत ही लोकप्रिय रहे। उनका लगाव बिलासपुर से अंत तक बना रहा। 

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