नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधान सभा में शनिवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार के शक्ति परीक्षण के लिए चार स्पष्ट निर्देश दिए हैं जिनका पालन करना होगा।
न्यायालय ने अपने आदेश में तत्काल विधानसभा के लिए अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया है। अस्थाई अध्यक्ष नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। यह प्रक्रिया अपराह्न चार बजे से पहले पूरी करनी होगी और चार बजे बहुमत का पता लगाने के लिए शक्ति परीक्षण होगा।
न्यायमूर्ति एके सिकरी , न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष खंडपीठ ने पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त करने का आदेश देते हुए कहा है कि कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक व्यक्तिगत रूप से सारे बंदोबस्त की निगरानी करेंगे ताकि इसमें किसी प्रकार की खामी नहीं रह जाए।
पीठ ने मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस कथन को भी नोट किया कि चूंकि शक्ति परीक्षण अपराह्न चार बजे होगा, इसलिए येदियुरप्पा यह प्रक्रिया सम्पन्न होने तक कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे।
पीठ ने यह भी दर्ज किया कि न्यायालय के 17 मई के आदेश के अनुपालन में रोहतगी ने कर्नाटक के राज्यपाल को संबोधित येदियुरप्पा के 15 और 16 मई के पत्रों की प्रतियां पेश की हैं। पीठ ने यह भी नोट किया कि 16 मई के पत्र में यह दावा किया गया है कि येदुयुरप्पा की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है और उसे अन्य का भी समर्थन प्राप्त है तथा उनके पास बहुमत है। पीठ ने इस तथ्य को भी रिकॉर्ड पर लिया कि इसी आधार पर राज्यपाल से राज्य में सरकार बनाने का दावा किया गया था।