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कितने भी सफल क्यों न हो जाएं पर माता-पिता के संस्कारों को कभी ना छोड़ें-कलेक्टर…..

बिलासपुर ।  कलेक्टर पी दयानंद ने आज दसवीं और बारहवीं में मेरिट में आये छात्र-छात्राओं को अपने निवास पर नाश्ते पर बुलाया। श्री दयानंद ने बच्चों के साथ बैठकर नाश्ते पर चर्चा की और उनकी सफलता पर शुभकामनाएं देते हुये कहा कि आप लोग तय मानिये जितनी बड़ी मुश्किल सामने है उतनी बड़ी सफलता मिलनी है। उन्होंने कहा कि दसवीं और बारहवीं की मेरिट में 13 लोगों ने आकर बिलासपुर का नाम रोशन किया है।

कलेक्टर ने सभी बच्चों से उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में भी जानकारी ली। बारहवीं में दसवीं रैंक पर आने वाली सुरुचि ने बताया कि उनके पिता नहीं है और उनकी मां मजदूरी करके घर का खर्च चलाती हैं। दसवीं में छठी रैंक पर आने वाली तनु यादव ने बताया कि उनके पिता रतनपुर में टेलरिंग का काम करके परिवार का भरणपोषण करते हैं। बारहवीं के नवीं रैंक में आने वाले शुभम विश्वकर्मा ने बताया कि उनके पिता किराये पर दुकान लेकर वेल्डिंग का काम कर रहे हैं। बारहवीं की प्रदेश में सेकेंड टॉपर संध्या कौशिक ने बताया कि उनके पिता वाहन चालक हैं। कलेक्टर ने कहा कि आपकी पृष्ठभूमि बताती है कि सफल बनने के लिये इच्छाशक्ति की आवश्यकता है, आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद सफलता पाना आप सबकी मेहनत का परिणाम है। संघर्षों से तप कर ही आप सब खरा सोना बनने वाले हैं। बच्चों ने भी कलेक्टर से उनके यूपीएससी की तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाईयों के बारे में पूछा।

श्री दयानंद ने बच्चों को बताया कि मेन्स एक्जाम के पहले उनकी काफी तवियत बिगड़ गई थी। शारीरिक कमजोरी ऐसी हो गई थी कि मेन्स दे पाना मुश्किल लग रहा था। लेकिन सोच रखा था कि यूपीएससी फाइट करना है और सफलता मिली भी। उन्होंने कहा कि जीवन में हर क्षण मुश्किलें आती हैं लेकिन धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत किसी भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है।

श्री दयानंद ने बच्चों को सीख दी कि कितने भी सफल क्यों न हो जाएं माता-पिता के दिए संस्कारों को कभी न भूलें। यदि संस्कार साथ रहें तो सफलता स्थाई रहती  है। उन्होंने कहा कि जो भी लक्ष्य बनाया है उसे पूरा करने में अभी से जुट जाएं।

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