ब्रेकिंग
बिलासपुर: समाज के चहुँमुखी विकास के लिए दृढ़ संकल्पित होकर काम करूंगी - स्नेहलता बिलासपुर: एसपीजी नहीं चाहती कि मोदी की सभा में मीडिया आए... कहीं निपटाने के खेल तो नहीं चल रहा... इस... बिलासपुर: आंगनबाड़ी सहायिका के पदों पर भर्ती हेतु आवेदन 13 अक्टूबर तक बिलासपुर: अधिवक्ताओं का धरना प्रदर्शन रायपुर में 27 को बिलासपुर: तेलीपारा में महेंद्र ज्वेलर्स शोरूम के सामने गणेश समिति के सोम कश्यप, संजू कश्यप, अरुण कश्... CG: 309 पत्रकारों को दी जाने वाली छूट की राशि 6 करोड़ 37 लाख 20 हजार 450 रूपए स्वीकृत रायपुर में तैयार हुई छत्तीसगढ़ की पहली टेनिस एकेडमी बिलासपुर: कोरबा के बलगी में रहने वाले रमेश सिंह के फरार बेटे विक्रम को सिविल लाइन पुलिस ने किया गिरफ... बिलासपुर: भाजपा की परिवर्तन यात्रा 26 सितंबर को बेलतरा पहुंचेगी, केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी... बिलासपुर: राहुल गांधी आज "आवास न्याय सम्मेलन" में होंगे शामिल, जानिए मिनट टू मिनट कार्यक्रम

ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में पास……..

नई दिल्ली।  विवाहित मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की सामाजिक कुरीति से निजात दिलाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए लोकसभा ने आज बहुचर्चित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 को कुछ विपक्षी दलों के बहिर्गमन के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इससे पूर्व सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों की ओर से लाये गये विभिन्न संशोधनों को मत विभाजन या ध्वनि मत से नामंजूर कर दिया। विधेयक पारित होने से पूर्व बीजू जनता दल और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन किया।

उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा लाये गये इस विधेयक में तीन तलाक (तलाक-ए-बिदअत) को संज्ञेय और गैरजमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

विधेयक में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक की कैद की सजा, जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा पत्नी, नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता देने की व्यवस्था की गयी है और पीड़ित महिला को नाबालिग बच्चों को अपने साथ रखने का अधिकार भी दिया गया है। 

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए और इसे पेश करते हुए प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार यह विधेयक किसी सियासत के नजरिये से नहीं, बल्कि इंसानियत के नजरिये से लेकर आयी है। ऐसी त्यक्ता महिलाओं के साथ खड़ा होना यदि अपराध है तो उनकी सरकार यह अपराध बार-बार करने को तैयार है।

उन्होंने कहा कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं की गरिमा सुनिश्चित करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए है और किसी भी तरह से यह शरीयत में दखल नहीं है। उच्चतम न्यायालय तीन तलाक को गैरकानूनी करार दे चुका है, लेकिन इसके बाद भी ऐसे करीब सौ मामले सामने आ चुके हैं, ऐसे में कानून बनाना जरूरी है।

सदस्यों की इस दलील पर कि जब उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को अवैध करार दे दिया है तो कानून लाने की क्या जरूरत है, प्रसाद ने कहा कि पीड़ित महिलाओं को शीर्ष अदालत के उस फैसले को घर में रखने से ही न्याय नहीं मिल जायेगा, बल्कि उन्हें कानून के माध्यम से ही न्याय मिल सकेगा।

विधेयक में जुर्माना राशि तय नहीं किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता में ऐसे कई प्रावधान हैं जिनमें जुर्माने की राशि का जिक्र नहीं है और इसका निर्धारण अदालत के विवेक पर छोड़ा गया है। इस मामले में भी ऐसा ही किया गया है।

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9977679772