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नसबंदी के बाद बिगड़ी 4 पुरूषों की तबीयत……

स्वास्थ्य विभाग का नया कारनामा
बिलासपुर/स्वास्थ्य विभाग द्वारा नसबंदी पखवाड़े में एक उपलब्धि थी कि एक भी नसबन्दी नहीं की गई थी।अब जिले के कोटा में आयोजित नसबन्दी शिविर में और एक उपलब्धि विभाग ने हासिल की है जो कोई भी नहीं करना चाहेगा।दरअसल कोटा में नसबन्दी शिविर में14 लोगों के ऑपरेशन किये गए थे जिनमें से चार लोगों को घर जाने पर सूजन चढ़ गई थी जिस कारण परिजन उन्हें अस्पताल ले गए जहाँ पर उनका दोबारा ऑपरेशन किया गया।इसके बाद भी हालत नहीं सुधरी तो सरकंडा में डॉ साव के यहाँ मरीजों को रिफर कर दिया गया जहाँ पर उनका तीसरी बार ऑपरेशन किया गया।
नौसिखिए डॉ. ने किया ऑपरेशन
सूत्रों की मानें तो जिस डॉक्टर ने नसबन्दी  का ऑपरेशन किया उसने पहले कभी ऑपरेशन नहीं किया  है ।बिना किसी तजुर्बेकार डॉक्टर के शिविर में मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की प्रथा प्रदेश में चल रही है उसी प्रथा का पालन यहाँ भी किया गया।लापरवाही यहीं नहीं रुकी मरीजों को जिला अस्पताल या सिम्स जैसे सरकारी अस्पताल होने के बाद भी निजी डॉक्टर के यहाँ उनको भर्ती कराना इस बात को साबित करता है कि सरकारी अस्पताल में ऐसे डॉक्टर सिर्फ वेतन ले रहे हैं उन्हें ऑपरेशन तक करना नहीं आता है।इस सम्बंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि डॉ साव विशेषज्ञ डॉक्टर हैं यह अपने आप में ही स्वीकारोक्ति है कि सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं और अनाड़ियों को सिखाने के लिए शिविर आयोजित कर प्रदेश वासियों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।सी एम एच ओ से जब यह सवाल किया गया कि निजी अस्पताल भारी भरकम बिल कौन भरेगा तो उनका कहना था कि हम भरेंगे लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे अपनी जेब से बिल भरेंगे या सरकारी पैसों से और अगर ऐसा होता है तो किस मद से बिल भरा जायेगा।जिस डॉक्टर ने ये ऑपरेशन किया वे पहले बिल्हा स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी थे और विवादित रहते थे ऐसे के भरोसे शिविर आयोजित करना लापरवाही नहीं तो और क्या है?क्या विभाग के बड़े अधिकारी और मंत्री किसी को लापरवाही के लिए जवाबदेही तय करेंगे या हमेशा की तरह लीपापोती कर दी जायेगी।
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