बिलासपुर। तीन दिनों तक अंधेरे में छात्रों को दिलानी पड़ी परीक्षा तब जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी निष्क्रियता को सक्रियता में बदलकर बिजली गुल हो जाने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था की जिनमें 40 से 50 इमरजेंसी लाइट व दो जनरेटर की व्यवस्था की गई. इस तरह विगत 3 दिनों से गुरु घासीदास विश्वविद्यालय छात्र परिषद एवं छात्र-छात्राओं द्वारा विश्वविद्यालय में जनरेटर एवं एलईडी लाइट की व्यवस्था करने के लिए जो लड़ाई लड़ी जा रही थी उसमें आखिरकार छात्रों की जीत हुई.
बता दें कि 1 मई को सेंट्रल यूनिवर्सिटी में दूसरी पाली के सेमेस्टर परीक्षा के दौरान बिजली गुल हो गई थी और प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नही की गई थी जिसकी वजह से छात्रों को अंधेरे में प्रश्न-पत्र हल करना पड़ा था. जिसके विरोध में पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ शुक्ला द्वारा कुलसचिव को ज्ञापन सौंपकर उचित व्यवस्था की माँग की थी लेकिन आश्वासन पश्चात भी 2 मई को किसी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नही की गई थी इसका खामियाजा भुगतते हुए छात्रों को अंधेरे में ही परीक्षा देनी पड़ी थी.
प्रशासन की लपरवाहीपूर्व रवैये से छात्र-छात्राओं ने आक्रोशित होकर 3 मई को फिर से कुलसचिव का घेराव कर ज्ञापन सौंपा एवं छात्र-परिषद द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता एवं अव्यवस्था के विरोध में प्रत्येक परीक्षा केंद्रों में जा कर छात्र-छात्राओं को मोमबत्ती वितरित किया था. जिसके बाद 4 मई 2018 को प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हुआ और आनन-फानन में चौथे दिन परीक्षा हॉल में वैकल्पिक व्यवस्था की गई. इसी मुद्दे पर छात्र-परिषद पूर्व अध्यक्ष मेघेन्द्र शर्मा एवं वर्तमान अध्यक्ष उदयन शर्मा छात्र-कल्याण अधिष्ठाता से जानकारी लेने पहुंचे थे. जिस पर उन्हें यह सूचना दी गई की विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दो जनरेटर एवं 40 से 45 इमरजेंसी एलईडी लाइट्स की व्यवस्था की है.
छात्र परिषद प्रतिनिधियों ने इमरजेंसी लाइट्स एवं जनरेटर की संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से यह भी माँग की कि भविष्य में ऐसी समस्या ना हो इसके लिए विश्वविद्यालय के प्रमुख परीक्षा केंद्रों में परमानेंट जनरेटर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. अधिष्ठाता छात्र-कल्याण ने छात्र-हित मे निर्णय लेने का आश्वासन दिया है जिसके पश्चात छात्र-प्रतिनिधि लौट गए.