सांसद आदर्श ग्राम के रोजगार सहायक को दो साल से नहीं मिला मानदेय, उपचार के अभाव में पिता ने तोड़ा दम, अब केंसर पीड़ित बच्चे के उपचार के नाम, दर-दर भटकने मजबूर
बिलासपुर। सांसद आदर्श ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त एक आदर्श ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक को पिछले दो सालों से अपने मानदेय के लिये दर दर भटकना पड़ रहा है वहीं जिम्मेदार अधिकारियों नें मानवीय पीड़ा को दरकिनार कर उसे पिछले दो साल से उसके अपने हक़ की कमाई राशि के लिये घुमा रहे हैं वहीं मानदेय के लिये जिम्मेदार अधिकारियों के चेम्बर में आवेदन पर आवेदन देकर रोजगार सहायक थक चुका है। लेकिन आस टूटी नहीं है।
कहते हैं मानवीय संवेदना हर मनुष्य में होती है लेकिन जानबुझकर मानवीय संवेदनाओं को नज़र अंदाज करना मानवता की बड़ी भूल है मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा एक मामला कोटा जनपद पंचायत अंतर्गत सांसद आदर्श ग्राम पंचायत मिट्ठूनवांगांव का प्रकाश में आया है, जहां कई सालों से पदस्थ रोजगार सहायक प्रशन्न कुमार भटपहरे को पिछले दो सालों से उसका मानदेय नहीं दिया जा रहा है रोजगार सहायक अपने मानदेय के लिये जनपद कोटा से जिला पंचायत अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काटने मजबूर है।
बहरहाल सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली सरकार के ये नुमाइंदे, रोजगार सहायक को मानदेय कब देंगे यह तो कहना मुश्किल है किन्तु अधिकारियों द्वारा उसके लंबित मानदेय भुगतान को रोके रखना कहीं ना कहीं शासन के नियमों की अनदेखी है, जो अधिकारियों की लापरवाही व अमानवीय व्यवहार को उजागर करता है ऐसे में राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकार संपन्न प्रतिनिधि, कलेक्टर को, जिसे जन समस्या निवारणकर्ता के नाम से भी जाना जाता है मामले को संज्ञान लेकर पीड़ित रोजगार सहायक को न्याय दिलाने अपने मातहत अधिकारियों को आदेश दे ताकि उसके अपने जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना कारित ना हो।