
बिलासपुर।(प्रवीण चौकसे ) जब क़दम मंज़िलों की ओर चलने की ठान ले तो उन्हें आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता. वह अपनी मंज़िल तक पहुंचकर ही रहता है. इसका जीवंत उदाहरण हमें आईआईटी मुंबई से मिलती है. जिसकी मंज़िल कंप्यूटर शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाना है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी मुंबई ने देशी पद्धति से कोर्स तैयार किया है. इसके लिए उसने स्पोकन ट्यूटोरियल सॉफ्टवेयर बना कर दिया है. जिसके माध्यम से कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है.
यह तकनीक कुछ इस तरह काम करती है. एक बस में 12 लैपटॉप के माध्यम से 24 लोगों के एक साथ बैठकर कंप्यूटर सीखने की व्यवस्था है. बिजली सुविधा के लिए बस के ऊपर सोलर पैनल लगाए गए हैं. जो दिनभर सूरज की किरणों से ईंधन बनाकर बस के भीतर लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को संचालित करता है. इसके अलावा इस बस में जनरेटर की भी व्यवस्था है. सभी बस में एक-एक कंप्यूटर प्रशिक्षक रहता है
एक गांव में यह बस सप्ताह में तीन दिन 2 घंटे तक समय देती है.इस तरह एक दिन में बस 6 से 8 तक पहुंचती है. 3 माह में यह कोर्स पूरा हो जाता है. इस तरह एक छात्र को 60 घंटे का समय दिया जाता है.
इसकी सुलभता यह है कि यहां कंप्यूटर सीखने के लिए कोई योग्यता की जरूरत नहीं है. कोर्स पूरा होने के बाद आईआईटी मुंबई द्वारा ऑनलाइन परीक्षा ली जाती है. इसके बाद प्रमाणपत्र बच्चों को दिया जाता है. इसके अलावा जो लोग और अधिक कंप्यूटर के बारे में जानना या समझना चाहते हैं. उनके लिए प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर आधुनिक व्यवस्था के साथ आइलैब की स्थापना की गई है.