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बिलासपुर /विश्वविद्यालय के आमंत्रण पर जून 2017 को दिल्ली से बिलासपुर पहुंची नैंक टीम के सदस्यों को काॅलेज प्रबंधक एवं सदस्यों द्वारा धमकाये और बंधक बनाये जाने के मामले में रजिस्टार को लिखे शिकायत पत्र के आधार पर पुलिस थाना सिविल लाईन और थाना सरकंडा में जांच उपरांत काॅलेज प्रबंधक पर विभिन्न धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया किन्तु आज दिनांक तक प्रबंधक की गिरफ़्तारी का ना होना पुलिस प्रशासन को कटघरे में ला खड़ा करता है। ऐसे में एक बार फिर उच्च शिक्षा जांच टीम की सुरक्षा से जुड़ा मामला, एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
शिकायत पत्र से हुआ ख़ुलासा
पूरे मामले का ख़ुलासा बिलासपुर विश्वविद्यालय के सचिव इंदु अनंत को बिलासपुर आये नैक जांच टीम की महिला प्रोफेसर मधुमति के लिखे पत्र से होता है, कि कैसे डीएलएस काॅलेज संचालक बसंत शर्मा नें गुंडे की भूमिका निभाते हुए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर डीएलएस काॅलेज की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव बनाने उनकों और उनकी टीम के साथ दुर्व्यवहार करते हुए शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दिया, वहीं खुद के लिखे पॉजिटिव रिपोर्ट पर बल पूर्वक हस्ताक्षर करवाया और ज़ुबान खोलने पर जान से मारने की धमकी भी दी।
शिक्षा के मंदिर में बदमाशों का कब्जा, जिम्मेदार मौन?
केन्द्र सरकार की नैक टीम के साथ आई एक सुशिक्षित सभारन्त महिला के साथ आधीरात को सफेदपोश काॅलेज संचालक द्वारा की गई हरकत से जहां शिक्षा जगत शर्मसार हुआ वहीं भयभीत नैक टीम की महिला सदस्य का थाने में स्वयं जाकर अपराध ना दर्ज करवाना, काॅलेज संचालक के पुलिस प्रशासन से गहरे संबंधों और मिली भगत पर उँगली उठाता है तो वहीं महिलाओं की सुरक्षा पर खुद को संवेदनशील बतलाने वाली सरकार और ताल ठोकने वाली पुलिस के द्वारा अब तक गुंडागर्दी करने वाले काॅलेज संचालक व उनके सहयोगियों पर कोई कार्यवाही ना होना प्रबंधक के रसूखदार होने की गवाही देता है।
क्या कर रही है केन्द्र और राज्य सरकार
इस पूरे मामलें में गौर करें तो किसी भी विश्वविद्यालय के केन्द्र में प्रमुख राष्ट्रपति और राज्य में गर्वनर होते हैं वहीं केन्द्र और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री व सचिव के पूर्व सूचना कोई भी टीम जांच में नहीं जाती है ऐसे में जांच टीम का एक काॅलेज संचालक पर लगाये गये गंभीर आरोपों पर दर्ज अपराध में कोई कार्यवाही का नहीं किया जाना पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में ला खड़ा करता है।
कौन है बसंत शर्मा
डीएलएस काॅलेज के संचालक बसंत शर्मा एक कांग्रेस नेता के रुप में जाने पहचाने जाते हैं सूत्रों की मानें तो इनकी सत्ता में मजबूत पकड़ के चलते पुलिस भी कार्यवाही के नाम पर मामले को पेंडिंग रखी है। अपने रसूख के दम पर अपने शिक्षण संस्थान को संचालित कर रहें हैं। इनके काॅलेज के ख़िलाफ़ अनेंक शिकायतें लंबित है। जिन पर कार्यवाही होना बाकी है।
उच्च न्यायालय में लगाई याचिका खारिज
इस मामलें में सिविल लाईन थाने और सरकंडा थानें में बसंत शर्मा डीएलएस कॉलेज संचालक के नाम अपराध दर्ज होनें पर गिरफ्तारी से बचने बसंत शर्मा नें उच्च न्यायालय बिलासपुर में एक याचिका लगा दोनों थानें में नैक टीम द्वारा लगाये गये आरोप को दुर्भावनापूर्ण बतलाते शून्य घोषित किये जाने की अपील की थी किन्तु उसे न्यायालय नें खारिज करते हुए पुलिस कार्यवाही को जायज़ बतलाया था।
इस पूरे मामले में कई ज्वलंत सवाल खड़े होते हैं जो कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं क्या हर शैक्षिक संस्थान या विश्वविद्यालय प्रबंधन, प्रमाणन एजेंसी से गुणवत्ता मानकों का स्तर इसी तरह तय करवाता है।
क्या नैक टीम के साथ घटी घटना के बाद यूजीसी द्वारा डीएलएस काॅलेज और संचालक के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की गई।
इस पूरे मामलें में घटना के लगभग दस माह बीत जाने के बाद भी किसी भी राजनैतिक दल, सामाजिक संगठन व सत्ताधारी दल ने एक बार भी गिरफ्तारी को लेकर आवाज़ नहीं उठाई?
क्या इस घटना के बाद राज्य सरकार में बैठे उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री द्वारा डीएलएस काॅलेज व संचालक पर कार्यवाही में विलंब होने पर पुलिस प्रशासन को कार्यवाही के लिये कोई पत्र लिखा?
पुलिसिया जांच पूरी हो जाने के बाद भी पुलिस डीएलएस काॅलेज संचालक व अपराध में शामिल उसके सहयोगियों को गिरफ़्तार करने किसके आदेश का इंतजार कर रही है?
बहरहाल शिक्षा जगत को शर्मसार करने वाली इस घटना नें जहां न्यायधानी का मान घटाया है वहीं महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार रोक लगाने में नाकाम पुलिस की पुलिसिया कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगाया है फिलहाल पुलिस के रवैये को देखकर तो ऐसा नहीं लगता की कोई ठोस कार्यवाही शीघ्र होगी लेकिन थानें में दर्ज अपराध के आरोपी एक ना एक दिन सलाखों के पीछे जाएगा जरुर क्योंकि कहते हैं कानून के हाथ लंबे होते हैं और अपराधी हो या आरोपी कानून से बचकर भाग नहीं सकता।