
बिलासपुर। परीक्षा खत्म होने के बाद पालकों को अपने बच्चों की आगे की पढ़ाई की चिंता जायज है क्योंकि पढ़ाई ही भविष्य का निर्माण करती है, पालक अच्छे से अच्छे शिक्षण संस्थान में अपने बच्चों की भर्ती कराने में एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं, नवोदय शाला भी नामी गिरामी शिक्षण संस्थानों में से एक हैं जिसकी चैन प्रदेश के हर जिलों में अलग-अलग स्थापित है नवोदय की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है वहीं ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों फार्म के माध्यमों से नियमानुसार प्रवेश लिया जाना आवश्यक है।
मिली जानकारी के अनुसार मामला बिलासपुर विकास खंण्ड के शिक्षा अधिकारी का कार्यालय क्षेत्र कोटा का है, जहां नवोदय विद्यालय में प्रवेश पाने के बच्चों के गरीब माता पिता ने अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर सरकारी स्कुलों में मिलने वाली शिक्षा से अच्छी शिक्षा से अच्छी शिक्षा अपने बच्चों को दिलाने के लिए नवोदय स्कुल प्रवेश परीक्षा में परीक्षा दिलाने कोटा के डीकेपी और कन्या हायर सेकेंडरी स्कुल कोटा लेकर आए थे।
बहरहाल स्थिति कुछ ऐसी बनी गई कि उन सभी बच्चों को इम्तिहान देने से रोक दिया गया, इसके बाद नाराज पालकों ने संकुल केन्द्र की सील लगी प्रवेश संबधी छात्रों की सूची दिखाई पर यह सूची कोई काम की ना निकली जिम्मेदारों ने उन्हें लौटा दिया, यह कहकर की इस समस्या के समाधान के लिए उन्हें शिक्षा कार्यालय कोटा की शिक्षा अधिकारी से मिलना होगा।पर जब पालक वहां पहुंचे तो शायद शिक्षा अधिकारी को घटना की जानकारी मिल चुकी थी, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय छोड रफुचक्कर हों गई, जानकारों के मुताबिक उन्होंने अपना फोन भी बंद कर दिया ताकि पलकों की किसी भी बात का जवाब ना देना पड़े। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की संगीनता को देखते हुए हर बार की तरह जांच कराये जाने का आश्वासन जरुर दे दिया है।
मसलन विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय कोटा के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कुल के हालात किसी से छुपे नहीं हैं, ऐसे में नवोदय प्रवेश परीक्षा में बैठने से वंचित छात्रों के भविष्य के साथ हुए खिलवाड़ ने एक बार फिर विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी को उजागर किया है, ऐसे शिक्षा के हिमायतियों के खिलाफ जिन्हें छात्रों के भविष्य की कोई परवाह नहीं ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।