इस मामले के शिकायतकर्ता दीपेश शुक्ला और सविता साहू समेत अन्य ने आरोप लगाया था कि कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत शिल्पा कौशिक ने नौकरी लगाने के नाम पर ठगी का आरोप लगाया था, उन्होंने कृषि केंद्र वैज्ञानिक के खिलाफ चकरभाठा थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी, इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन पेश किए गए थे, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस उदय उमेश ललित की डीबी ने दर्ज प्रकरण में 2012- 13 में लेंन देंन होना बताया है जबकि इसकी रिपोर्ट 2017 में दर्ज कराई गई है, आवेदक को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान करने के आदेश उच्च न्यायालय ने जारी किए हैं, ज्ञातव्य है कि चीफ जस्टिस हाई कोर्ट ने पूर्व में एक प्रकरण में अग्रिम जमानत प्रदान की है।
कोर्ट के निर्णय पर पीड़ित के पिता ने कहा की यह मामला वर्षों पुराना है जिसे उच्च न्यायालय द्वारा गम्भीरता से लेते हुए जमानत देने का फैसला लिया गया है। उनके पूरे परिवार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद राहत की सांस ली है, पीड़ित के पिता ने कहा की उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जमानत मिलने से उन सब को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने कृषि वैज्ञानिक शिल्पा कौशिक को फंसाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़े थे, न्यायालय का यह निर्णय उन सब के गाल पर करारा तमाचा है जिन्होंने उनके खिलाफ साजिश की थी।