
बिलासपुर। शासकीय शराब दुकान में काम करने वाले कर्मचारी को आबकारी निरीक्षक ने कुछ इस क़दर झापड़ जड़ दिया, झापड़ से उसके एक कान का पर्दा फट गया है, इसके बाद जब उसने इसकी रिपोर्ट दर्ज करानी चाही तो पुलिस द्वारा आनाकानी किया जाने लगा, इसके बाद पीड़ित कर्मचारी ने आईजी और एसपी से गुहार लगाई, इसके बाद थाना में रिपोर्ट दर्ज किया गया, पर कार्रवाई अभी तक नहीं हुई जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले से अपना पलड़ा झाड़ते नजर आ रहे हैं वहीं पीड़ित को दर-दर भटकना पड़ रहा है।
पीड़ित विजय अनंत पिता पुरुषोत्तम अनंत 30 वर्ष का है, वह पामगढ़ का रहने वाला है, 3 अप्रैल से उसने यदुनंदन नगर तिफरा स्थिति शराब भट्टी में मल्टी के पद पर काम की शुरुआत की थी, रोज की तरह वह 10 अप्रैल को काम पर आया, आबकारी निरीक्षक अनिल मित्तल दुकान पर पहले से मौजूद था, विजय शराब दुकान के अंदर सफाई करने जाने लगा, इसी दौरान अनिल मित्तल ने उसे बुलाकर जोर का चांटा जड़ दिया, दो घण्टे बाद विजय के कान से खून आना शुरू हो गया, प्रायवेट हॉस्पिटल पर जांच करवाने से पता चला कि उसके कान का पर्दा फट चुका है।
जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं पता, वे बताते हैं
इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों से पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नही है, सहायक अधिकारी से फोन तलब करने पर उन्होंने कहा कि अबतक इस बारे में उन्हें पता नहीं चला है, अगर मामला सामने आया तो जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। अपर कलेक्टर केडी कुंजाम से जानकारी ली गई तो उनका भी यही जवाब था कि उन्हें इस मसले पर कोई जानकारी नहीं मिली मामला उन तक पहुंचने पर उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बड़े-बड़े दावे करने वाले राजनीतिक दल, नहीं आये समर्थन में..
मंचो व सार्वजनिक जगहों से लंबे चौड़े भाषण और जनहित की दरकार लगाने वाले, बड़े-बड़े राजनीतिक दल के नेताओं ने भी इस मामले पर अपनी चुप्पी साधी है, सामाजिक संगठन, मानव आयोग व जनता के हितों के हनन के खिलाफ लड़ने वाले भी मजबूर विजय की मदद नहीं कर रहे, यह मामला उनके द्वारा किये जाने वाले झूठे आडम्बर को जागृत करता है। इन वजहों से भी पीड़ित विजय को न्याय के लिए जगह-जगह भटकना पड़ रहा है पर उसका पक्ष कमजोर व विरोधी का पक्ष मजबूत होना भी उसे न्याय ना मिलने का बड़ा कारण है।
इतना सब होने के बाद भी कहते हैं नहीं पता…
मीडिया द्वारा इस खबर को लगातार दिखाया जा रहा है और आरोपी निरीक्षक पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है, मीडिया समाज का चौथा स्तम्भ कहा जाता है पर यहां इसका वजूद जानबूझकर दबाया जा रहा है या उसे झुठलाने की कोशिश की जा रही है। बड़े अधिकारियों का सबकुछ जानते हुए भी ना जानने का अभिनय उनकी कुटिलता और गैरजिम्मेदाराना रवैय्ये को उजागर करता है।
आबकारी मंत्री के होते हुए भी विभाग के कर्मचारियों रुआब ऐसा है
उल्लेखनीय है कि आबकारी मंत्री भी शहर के ही हैं उनके मौजूदगी में उनके विभाग का यह अंदाज़ समझ से बाहर है, वैसे तो यह मामला कोई नया नहीं है इससे पहले भी आबकारी निरीक्षकों के रौबदार रवैया का भट्ठी के किसी न किसी कर्मचारी को शिकार होना पड़ता रहा है, बहरहाल इस मामले में मंत्री क्या कार्रवाई करते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।
क्या इस लड़के को न्याय मिलेगा
गरीब विजय को न्याय के लिए हर रोज नई तकलीफे झेलनी पड़ रही है, उसे न्याय मिलेगा या नहीं या दोषी हर बार की तरह अपनी पहुंच लगाकर न्याय की आंखों में धूल झोंककर बच निकलेगा यह अभी का सबसे बड़ा सवाल है…?