रायपुर। जाति निवास व अन्य जरूरी दस्तावेज साक्ष्य के अभाव में नहीं बन पाने की समस्याओं को देखते हुए लिया गया निर्णय, इसके पश्चात शहर व नगर पालिका निगम के अंतर्गत आनेवाले जनसामान्य इसका लाभ ले सकेंगे।
राज्य सरकार शहर में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के ऐसे व्यक्तियों की परिवारों की पहचान सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है, जिनके पास जाति प्रमाण पत्र के संदर्भ में निर्धारित तारीख के पहले के अभिलेख नही है, ऐसे व्यक्ति अपना आवेदन निर्धारित प्रारूप में नगर निगम द्वारा अधिकृत कर्मचारी के पास जमा करा सकेंगे इसके बाद सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद सामान्य सभा द्वारा इस संबंध में संकल्प पारित किया जाएगा।
इस संबंध में महानदी भवन के नगरीय प्रशासन और विकास विभाग मंत्रालय ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और नगर निगम आयुक्तों को इस सिलसिले में परिपत्र जारी किया है, इसमें जाति और मूल निवास प्रमाण पत्र के प्रमाणीकरण के संबंध में सामान्य सभा द्वारा अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को बिन्दुवार विस्तार से समझाया गया है।
इस परिपत्र के साथ आवेदकों और नगर निगमों की सामान्य सभा द्वारा की जाने वाली घोषणा के दो प्रारूप संलग्न किए गए हैं, परिपत्र के साथ जाति और मूल निवास के प्रमाणीकरण के संबंध में सामान्य सभा द्वारा अपनायी जाने वाली बिन्दुवार प्रक्रिया भी जिला कलेक्टरों और निगम आयुक्तों को भेजी गई है, साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि यह कार्य एक वर्ष तक आयोजित होने वाली सामान्य सभा की बैठकों में पूरा कर लिया जाए और यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि इस आशय से ऐसा कोई व्यक्ति अथवा परिवार शेष नही रह गया है।
साक्ष्य नहीं होने पर सामान्य सभा में कर सकेंगे पहचान सुनिश्चित
इस परिपत्र में आगे कहा गया है कि राज्य के नगर निगम क्षेत्रों में निवास कर रहे आवेदकों के पास अगर जाति और मूलनिवास के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, तो ऐसे प्रकरणों में नगर निगमों की सामान्य सभा की बैठकों में व्यक्ति अथवा परिवार की पहचान सुनिश्चित की जा सकेगी, आवेदक निर्धारित प्रारूप में उदघोषणा कर सकेंगे, जिसके सभी तथ्यों विचार करने के बाद सामान्य सभा द्वारा एक अन्य प्रारूप में उसकी जाति और मूल निवास के संबंध में उदघोषणा की जाएगी। गलत जानकारी देकर सामान्य सभा से उदघोषणा करवाने वाले आवेदक के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाएगा और दाण्डिक कार्रवाई की जाएगी।
पुराने साक्ष्य न होने पर भी बनवा सकेंगे जाति प्रमाण पत्र
नगर पंचायतों के ऐसे निवासी जिनके पास कोई अन्य साक्ष्य नहीं है, जिसके कारण उन्हें जाति प्रमाण पत्र बनवाने में कठिनाई आ रही है, ऐसे निर्देशों के अनुरूप नगरपालिका निगमों के शहरी क्षेत्रों में निवासरत व्यक्तियों, परिवारों को उनकी जाति तथा मूलनिवास के संबंध में लोक अथवा निजी दस्तावेजों में साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने पर उनके लिए भी दस्तावेज मान्य करने के संबंध में निर्देश लागू करने का निर्णय लागू किया गया है। इसके अनुसार अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के बहुत से व्यक्ति अथवा परिवार ऐसे हैं, जिनके पास अचल संपत्ति नहीं होने तथा उनके पूर्वजों के पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण अचल संपत्ति तथा शिक्षा आदि से संबंधित लोक अथवा निजी दस्तावेजों में उनकी जाति और जाति संबंधी व उनके मूल निवास के संबंध में कोई विवरण उपलब्ध नहीं होने के कारण वे जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं और उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने परिपत्र में सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति के आधार पर इस संबंध में बिन्दुवार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
गलत जानकारी देने वालों पर होगी दण्डात्मक कार्रवाई
इस परिपत्र साफ कर दिया गया है कि गलत तथ्यों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों के खिलाफ छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी, साथ ही आवेदक और उसके परिवार के सदस्यों के नाम नगरीय निकाय, तहसील कार्यालय और जिला कार्यालय में संधारित स्थायी अभिलेख से दबा दिया जाएगा।