
बिलासपुर/पार्टी ने जो अधिकृत जानकारी दी थी उसके अनुसार बिलासपुर का प्रभार इन दिनों राम दयाल उइके को सौंपा गया है, पर उइके न तो सक्रिय है न ही यहां का उत्तरदायित्व उठा रहे हैं, इस भूमिका में करुणा शुक्ला नजर आ रही हैं, जबकि उन्हें केवल बिलासपुर के संकल्प शिविर के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, बिलासपुर का प्रभार कांटो से भरा उत्तरदायित्व है इसमे इतने कांटे हैं कि घायल होना तय है। पहले यह काम बीआर खूंटे को मिला उन्होंने जीत के बड़े-बड़े दावे किये थे पर उन्ही के विरुद्ध उन्ही की पार्टी के एक नेता ने रुपये ले कर भी पद नहीं दिया दिलाने की शिकायत हुई मामला एफआईआर तक पहुंचा, खूंटे के बाद यह जिम्मेदारी सत्यनारायण शर्मा को मिली, बिलासपुर में उन्होंने शुरुआती दौर में मेहनत की पर गुटबाजी देखकर उन्होंने बिलासपुर से तौबा कर लिया। वे ही एक ऐसे नेता थे जो कांग्रेस के ही थे। बाकी नेता खूंटे, उइके व शुक्ला की एक समानता है की ये तीनों भाजपा से कांग्रेस में आये हैं।