
बिलासपुर। संसदीय सचिव को लेकर हाईकोर्ट का फैसला आया है, इस निर्णय में उच्च न्यायालय द्वारा संसदीय सचिव की नियुक्ति को सही ठहराते हुए सरकार द्वारा की गई नियुक्ति को बरकरार रखने का निर्णय लिया है, हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस राधाकृष्णन और जस्टिस शरद गुप्ता की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया, कोर्ट ने कहा कि संसदीय सचिव बतौर मंत्री के पद पर कार्य नहीं कर पाएंगे।
बता दें की कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर और आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध बताते हुए उसपर रोक लगाने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। जिसमे यह कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी, बहरहाल कोर्ट के निर्णय के बाद फिलहाल संसदीय सचिव बहाल रहेंगे।
ज्ञात हो कि इस मामले में हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में संसदीय सचिवों के काम करने पर रोक लगा दी थी, मसलन मोहम्मद अकबर ने आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर बताया है कि सभी संसदीय सचिव और सरकार कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं, उन्होंने न्यायालय की अवमानना का भी आवेदन दायर कर दिया, इस मामले में मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने खुद को व्यक्तिगत रुप से पार्टी बनाए जाने से अलग करने का आवेदन लगाया है।
वर्तमान में ये हैं संसदीय सचिव
प्रदेश सरकार में वर्तमान में राजू सिंह छत्री, गोवर्धन सिंह मांझी, तोखन साहू, अम्बेश जांगड़े, लाभचंद बाफना, लखन देवांगन, सुनीति सत्यानंद राठिया, मोतीराम चन्द्रवंशी, रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, चंपा देवी पावले को संसदीय सचिव के पद पर पदस्थ हैं।