इस समय कुछ ऐसा ही विवाद फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहा  है ये फिल्म पद्मावती के उपर बनी है जिनका हिन्दुओं खासकर राजपूतों के बीच बहुत सम्मान है राजपूत समाज का आरोप है की फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली ने तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है और उन्होंने पद्मावती के चरित्र चित्रण सत्यता के साथ नहीं किया है. इस फिल्म को कई राज्यों में बन भी कर दिया गया है इस फिल्म को लेकर पूरे देश में छोटी मोती हिंसक घटनाये भी देखने को मिल रही है. आज हम आपको बतानी जा रहे है की रानी पद्मावती कौन थी और इतिहास में कासी वो अमर हो गई.

रानी पद्मावती की जीवनी पदमावत को मालिक मुहम्मद जायसी द्वारा 1540 ईसवी में लिखा गया था कुछ इतिहासकार पद्मावती को एक काल्पनिक किरदार बताते है .राजस्थान और प्राचीन राजपूताना के चित्तौड़ की रानी पद्मिनी को ही पद्मावती के नाम से जाना जाता  है. महारानी पद्मावती इतनी सुंदर थी की जिस भी इतिहास कार ने उनके बारे में लिखा है वो उनके सुन्दरता का वर्णन करना नहीं भूले हैं महरानी पद्मावती सिहला की राजकुमारी थी जो की श्री लंका में स्थित है. उनके पिता गंधार सेना ने उनके लिए एक स्वयम्बर का आयोजन किया था जहाँ देश विदेश के राजाओं ने भाग लिया था इस समारोह में रानी को चितौड के रजा रावल रतन सिंह ने जीता था. रतन सिंह की 13 रानियाँ थी. जिसमे पद्मावती सबसे सुंदर थी . पद्मा वती की सुन्दरता के चर्चे पुरे देश में थी.

दिल्ली के सुल्तान अल्लौद्दीन खिलजी की नज़र रानी पद्मावती पर थी रानी के सुन्दरता का बखान सुनकर एक बार वो चितौगढ़ पंहुचा वहां उसे रानी की एक झलक दिख गयी थी  लेकिन वो रानी का चेहरा नहीं देख पाया था उसके बाद भी  वो रानी को अपना बनाने के लिए पागल हो गया था उसने रतन सिंह से रानी को देखने की शर्त रखी  रतन सिंह ने जब रानी से ये बात कही तो रानी ने साफ़ इनकार कर दिया रतन सिंह के बार बार आग्रह करने पर रानी अपने आपको खिलजी को शीशे में दिखाने को तैयार हो गई रानी की एक झलक पाते ही खिल जी पागल हो उठा उसने धोखे से रतन सिंह को बंदी बना लिया और शर्त रखी की जब रानी पद्मावती को खिलजी को सौंप दिया जायेगा तब रतन सिंह को छोड़ा जायेगा.

रानी ने शर्त को मान लिया और कहा की वो खिल जी से मिलने दिल्ली आएगी वो भी अपने सखियों के साथ. जब खिल जी को ये पता चला की रानी अपने सात सौ दसियों के साथ चितौडगढ़ से  आ रही है तो वो खुश हो गया. लेकिन जब रानी और उनके दसियों की पालकी दिल्ली गई  तो उसमे रानी नहीं बल्कि चितौडगढ़ के सेनापति गोरा  और उनके सैनिक थे जिन्होंने मुग़ल सेना पर आक्रमण कर दिया और रतन सिंह को छुड़ा लिया लेकिन इस लड़ाई में गोरा और सभी सैनीक मारे गए बाद में जब खिल जी ने चितौडगढ़ के किले पर कब्ज़ा कर लिया तो रानी ने अपने सत को बचाने के लिए कई हज़ार महिलाओं के साथ आग में कूद कर आत्मदाह कर लिया. महरानी के जीवन काल में खिलजी कभी भी महरानी को छु तक नहीं पाया था…..source-n.B.