ब्रेकिंग
बिलासपुर: टिकट मिलने पर उज्वला ने महामाया मंदिर में टेका मत्था, पूजा अर्चना के बाद शुरू किया प्रचार बिलासपुर: समाज के चहुँमुखी विकास के लिए दृढ़ संकल्पित होकर काम करूंगी - स्नेहलता बिलासपुर: एसपीजी नहीं चाहती कि मोदी की सभा में मीडिया आए... कहीं निपटाने के खेल तो नहीं चल रहा... इस... बिलासपुर: आंगनबाड़ी सहायिका के पदों पर भर्ती हेतु आवेदन 13 अक्टूबर तक बिलासपुर: अधिवक्ताओं का धरना प्रदर्शन रायपुर में 27 को बिलासपुर: तेलीपारा में महेंद्र ज्वेलर्स शोरूम के सामने गणेश समिति के सोम कश्यप, संजू कश्यप, अरुण कश्... CG: 309 पत्रकारों को दी जाने वाली छूट की राशि 6 करोड़ 37 लाख 20 हजार 450 रूपए स्वीकृत रायपुर में तैयार हुई छत्तीसगढ़ की पहली टेनिस एकेडमी बिलासपुर: कोरबा के बलगी में रहने वाले रमेश सिंह के फरार बेटे विक्रम को सिविल लाइन पुलिस ने किया गिरफ... बिलासपुर: भाजपा की परिवर्तन यात्रा 26 सितंबर को बेलतरा पहुंचेगी, केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी...

श्रम मंत्रालय का “गबन पुराण’’…..

श्रमिकों के खून -पसीने की कमाई का बंदरबांट

 

छत्तीसगढ़ शासन के श्रम विभाग का उद्देश्य –

बिलासपुर/छत्तीसगढ़ शासन के श्रम विभाग का मूल उद्देश्य श्रम अधिनियमों के माध्यम से श्रमिकों के आर्थिक, शारिरिक एवं सामाजिक हितों का संरक्षण करना है। श्रमायुक्त संगठन द्वारा श्रमिकों एवं कारखाना प्रबंधन के बीच परस्पर तालमेल स्थापित करते हुए श्रमिक हित एवं औद्योगिक विकास में योगदान दिया जाता है। विभिन्न श्रम अधिनियमों को श्रमिक हित में मूर्त रूप देना, श्रमिकों को वेतन एवं कार्य सुनिश्चित कराना, श्रम विभाग का मुख्य दायित्व है।

श्रम विभाग से संबंधित तीनों मंडलों के माध्यम से श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा से संबंधित विभिन्न योजनाएँ संचालित की जाती है। लेकिन श्रम विभाग के उच्च पदों पर बैठे हुए अधिकारी ही जब श्रम अधिनियमों को ताक पर रख श्रमिक हितों के लाखों रूपए का गबन कर जाएँ और मामले पर पर्दा डालने का काम करें तो ऐसे में श्रम विभाग के बनाए नियम कायदे फौरी तौर पर कागजी ही कहलाएंगे।

श्रम विभाग में गबन से संबंधित एक सनसनी खेज मामला सामने आया है। श्रमिक जिसके बहाये हुए खून और पसीने की एक-एक बूंद से देश में विकास की राह आसान होती है, उसी छ.ग. शासन के श्रम विभाग में लाखों रूपए के गबन का सनसनी खेज मामला सामने आया है, जिसमें सहायक श्रमायुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियों ने शासन के नियमों को दरकिनार कर श्रमिकों को वितरित की जाने वाली ब्याज की राशि के वितरण के नाम पर बंदरबांट किया है। श्रमिक संघ की शपथ शिकायत पर उच्च न्यायालय ने जब जाँच का आदेश दिया तो श्रम विभाग में खलबली मच गयी।

-ः न्यायालय के निर्णय के पालन में विभागीय उदासीनता:-

गबन का मामला तब उजागर हुआ जब श्रमिक संघ ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में शपथ देकर कहा कि श्रमिकों को ब्याज की जमा राशि के वितरण में श्रम अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी की जा रही है। श्रमिकों का हक मारकर कम राशि दी जा रही है। उच्च न्यायालय के जाँच आदेश के बाद श्रम विभाग ने विभागीय जाँच की। विभागीय जाँच में यह खुलासा हुआ कि छत्तीसगढ़ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल कार्यालय में पदस्थ श्रमायुक्त/सचिव के पद पर पदस्थ श्रीमति सविता मिश्रा द्वारा वर्ष 24.01.2001 से 23.01.2004, व 05.04.2004 से 04.11.2008, व 01.07.2009 से 20.05.2010 तक श्रमिकों के नाम पर जमा राशि का अधिक आहरण कर कम राशि का वितरण कराया जाता था। श्रमिकों की राशि को सविता मिश्रा द्वारा नीजी उपयोग में लिया जाता था जो अपने-आप में गंभीर मामला है। यह बात श्रम विभाग के जाँच अधिकारियों द्वारा जाँच किए गए दस्तावेजों से सिद्ध भी हो चुकी है। सविता मिश्रा द्वारा वितरण के बाद राशि सरकारी बैंक खाते में जमा नहीं की जाती थी। ऐसे में तीन-तीन बार स्थानान्तरित एवं पदस्थ होने के बावजूद सविता मिश्रा ने पदस्थ अधिकारियों को राशि प्रभार सौंपने व प्राप्त करने की कार्यवाही नहीं की। इससे पता चलता है कि सविता मिश्रा के लिए कानून के बनाये नियम कायदे कोई मायने नहीं रखते। श्रम विभाग के तमाम आला अधिकारी सविता मिश्रा के आगे बौने हो रहे थे, तभी उच्च न्यायालय के निर्णय के पालन में उदासीनता बरतने पर लगी फटकार ने एक बार फिर अधिकारियों को तमाम गबन के आरोपों से घिरे अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज कराने विवश होना पड़ा।

उच्च न्यायालय के निर्देश पर श्रम विभाग के उच्च अधिकारियों ने मामले में गहन जाँच की। उक्त प्रकरण में महालेखाकार कार्यालय ने अंकेक्षण की प्रक्रिया भी पूरी की। दोनों जाँच में सविता मिश्रा गंभीर गबन करते हुए दोषी पायी गयी। जाँच के उपरांत सविता मिश्रा एवं अन्य अधिकारियों के विरूद्ध भा.द.वि. की धारा 420, 409, 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया। किन्तु उच्च न्यायालय के निर्देश के सात साल बाद भी रायपुर पुलिस ने कोई जाँच नहीं की। श्रम मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने भी सविता मिश्रा के ऊपर कोई कार्यवाही नही की। इससे ये साबित होता है कि इस प्रकरण में पुलिस विभाग एवं श्रम मंत्रालय की आपस में मिली भगत है।

ः- गबन के आरोपों के आगे बौना हुआ कानून:-

उच्च न्यायालय के निर्देश की अवहेलना के बाद शासकीय राशि के गबन का यह पहला मामला जान पड़ता है, जिसे घोर वित्तीय अनियमितता जैसे गंभीर मामलें मे विभागीय अधिकारी अपने-अपने पदों में पदस्थ है। इस अधिकारियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, और यह अधिकारी बेखौफ कार्य कर रहे हैं।

 श्रमिकों की गबन राशि के संबंध में श्रमिक संघ ने एक शपथ पत्र देकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। विषय था कि छ.ग. में कार्य कर रहे निजी संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों की ब्याज राशि रायपुर के भारतीय स्टेट बंैक (कचहरी शाखा, रायपुर) के खाता क्रमांक – 01190025335 व 10470129660 में जमा की जाती थी। उक्त राशि सहायक श्रमायुक्त कार्यालय रायपुर के द्वारा श्रमिकों के वितरण हेतु आहरित की जाती थी, लेकिन सविता मिश्रा ने इस राशि का बंदरबांट अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ मिलकर श्रमिकों को कम राशि का नगद भुगतान किया।

श्रमिकों की शेष राशि को बंैक में जमा ना कर उसका गबन किया गया जो कि गंभीर अपराध की श्रेणी में आ जाता है। इस प्रकरण में उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा श्रम विभाग रायपुर को श्रमिक ब्याज राशि के वितरण मामले की जाँच की।

उक्त प्रकरण में जब श्रम मंत्री भैयालाल रजवाड़े ने संज्ञान लिया तो उन्होने आयुक्त आर. संगीता को निर्देश दिया। लेकिन अभी तक आयुक्त ने कोई कार्यवाही नहीं की। कानून के जानकारों की माने तो भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल की समिति को विस्तृत अधिकार प्राप्त है। समिति में प्रस्ताव रख आम सहमति से सविता मिश्रा को हटाया जा सकता है, जो एक सामान्य प्रक्रिया है।

पिछले सात सालों से उक्त मण्डल में मोहन एन्टी अध्यक्ष पद पर पदस्थ हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोहन एन्टी भाजपा के एक कद््ावर मंत्री के कट्टर समर्थक माने जाते है। मोहन एन्टी खुद कानून के जानकार हैं। इसके बावजूद उनके द्वारा कानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है जो बहुत ही शर्मनाक है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कानून का ज्ञाता गबन के आरोपियों को संरक्षण क्यों दे रहा है। आपको बता दें कि गबन की आरोपी सविता मिश्रा उक्त मण्डल में सचिव पद पर पदस्थ हैं। इस मामले में आरोपियों को सरंक्षण देने के नाम पर जहाँ भारतीय जनता पार्टी की सरकार की किरकिरी हो रही है, वहीं गबन के आरोपों से घिरी महिला अधिकारी बेखौफ काम कर रही है। ऐसे मे यह बेहद जरूरी है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को हटाने मोहन एन्टी को प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि उनके राजनैतिक पद की गरिमा कलंकित होने से बच जाए और सरकार की किरकिरी ना हो।

श्रम विभाग के अंतर्गत तीन प्रमुख मंडल कार्य कर रहे हैं। तीनों मंडलों की जानकारी का सेटअप बता रहे हैं।

 

1. छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल
अध्यक्ष- भैयालाल रजवाड़े (मंत्री, छ.ग शासन)
सचिव- एस.एस. पैकरा (सहायक श्रमायुक्त)

2. छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल
अध्यक्ष- मोहन एन्टी (अधिवक्ता)
सचिव- सविता मिश्रा

3. श्रम कल्याण मंडल
अध्यक्ष- योगेश चंद्र शर्मा (अधिवक्ता)
श्रम कल्याण आयुक्त – अजितेश पाण्डे

प्रतिक्रिया – भैयालाल रजवाड़े
(श्रम मंत्री, छ.ग. शासन)
श्रमिकों के उपयोग की राशि को विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने नियम विरूद्ध तरीके से उपयोग किया, शिकायत मेंरे संज्ञान में है, नियमानुसार हमने उत्तरदायी अधिकारी को दो बार नोटिस दिया है, प्रकरण पर जाँच रिपोर्ट भी आ गयी है, दोषी अधिकारी के विरूद्ध शीघ्र ही कठोर कार्यवाही होगी।

-ः जिम्मेदार अधिकारियों की प्रतिक्रिया :-

आर.संगीता (आई.ए.एस)
आयुक्त श्रम मंत्रालय (छ.ग. शासन)

इस प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारी आर. संगीता का कहना था, कि वो मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में है, यह प्रकरण आपके द्वारा संज्ञान मेें आ गया है, जानकारी लेकर उचित कार्यवाही करेंगी।

 यू.के. मेश्राम
सहायक श्रमायुक्त (रायगढ़)

इनसे बात करने पर इनका कहना था कि इनके ऊपर विभागीय जाँच चल रही है।

सविता मिश्रा

न्यूज हब इनसाइट” के  संपादक ने सविता मिश्रा से बात करनी चाही तो उनका कोई जवाब नहीं आया, whatsApp मेसेज किया गया तो उन्होंने पढ़ा, किन्तु ना तो संपर्क किया ना ही अपने ऊपर लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया दी।

श्रम मंडल के बेशर्म अधिकारियों के ‘‘गबन पुराण’’ का अध्याय यहाँ समाप्त नही होता है, शेष गड़बड़झाले की खबर अगले अंकों में ……………………..

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9977679772