
रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन ने शिक्षाकार्मियों के लिए बनाई गई कमेटी का कार्यकाल एक माह के लिए बढ़ा दिया है, साथ ही 7 अप्रैल को जारी आदेश के अनुसार शासन द्वारा अधिकारियों की टीम गठित की गई है, जो शिक्षकों की समस्या के निराकरण के लिए राजस्थान मॉडल का अध्ययन करेगी, इसके पश्चात रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन को सौंपेगी।
इस पर शिक्षक पं/ननि मोर्चा ने कहा है कि इससे यह प्रतीत हो रहा है कि समिति का काम सही मायने में अभी शुरू हो रहा है, इस फैसले पर शिक्षक पं/ननि मोर्चा के संचालक वीरेंद्र दुबे ने कहा की लगातार कमेटी के कार्यकाल को बढ़ाने के कारण शिक्षाकर्मी आक्रोशित है, शासन को पूर्व में ही राजस्थान मॉडल, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में शिक्षको के संविलियन संबधी आवश्यक तथ्य पहले ही सौंप चुकी है। डिजिटल इंडिया के जमाने मे किसी राज्य का भ्रमण करना केवल समय खराब करना है, वीरेंद्र ने बताया कि शासन को चाहिए कि जल्द ही संविलियन पर निर्णय लेना चाहिए।
इस दौरान प्रांतीय उप-संचालक धर्मेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश के सभी शिक्षकों का संविलियन करना ही एक मात्र विकल्प है शासन को इस पर जल्द ही ठोस निर्णय लेना चाहिए, प्रान्तीय उपसंचालक जितेन्द्र शर्मा का कहना है की शासन के कार्यों में “समयसीमा” शब्द की बड़ी कीमत होती है, परन्तु हाईपावर कमेटी होने के बावजूद कमेटी की समयसीमा 3 माह से 4 माह हो गया और अब 5वें महीने के लिए इसे बढ़ा देना समझ से परे है। अब कोई भी जानकारी पलक झपकते मिल जाती है, ऐसे में माहभर का और कार्यकाल बढ़ाना डिजिटल क्रांति के युग का मजाक उड़ाना है, उम्मीद है की यह अंतिम बढ़ी हुई अवधि होगी।