
बिलासपुर। केंद्रीय बैंक के निलंबित शाखा प्रबंधक और पूर्व सीईओ पर जनता जोगी के प्रदेश प्रवक्ता मनीशंकर पाण्डेय ने 85 लाख के घोटाले का बड़ा आरोप लगाया है।
मनीशंकर ने इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के निलंबित शाखा प्रबंधक व पूर्व सीईओ गुरु दीवान पर उनके द्वारा जयराम नगर सोसायटी के शाखा प्रबंधक रहते हुए 85 लाख के घोटाले का गम्भीर आरोप लगाया है, मनीशंकर ने बताया कि इसकी जांच के दौरान भी गुरु दीवान को दोषी पाया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए संयुक्त पंजीयक ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था परंतु आज तक उनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं हुई और ना ही एफआईआर दर्ज हुआ।
इस मामले में वर्तमान सीईओं अभिषेक तिवारी के द्वारा भी उन्हें निलंबित किया गया था, इसके बावजूद भी उन्हें अध्यक्ष राजवाडे के द्वारा सीईओ बना दिया गया जिसे अभी उच्च न्यायालय ने हटा दिया है और अभिषेक तिवारी को पुन: सीईओ का चार्ज दिये जाने का आदेश दिया।
मनीशंकर ने कहा कि निलंबित सीईओ विकास गुरूदिवान के खिलाफ अभी तक अन्य कई मामलों में कलेक्टर और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारियों द्वारा चार से पांच बार एफआईआर का आदेश है, परंतु आज तक कोई भी कारवाई नहीं कि गई ना ही कोई एफआईआर दर्ज हुआ है।
जोगी कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पाण्डेय ने आगे बताया कि गुरु दीवान द्वारा जो सर्विस जॉइन किया गया, इसमे उम्र की पात्रता 35 वर्ष थी, उस समय उनकी उम्र 36 वर्ष थी तब उन्होंने ज्वाइन किया जो वैधानिक नहीं है, गलत व फर्जी है। इसी तरह उनके द्वारा जो प्रमाण पत्र संलग्न किया गया है वह भी फर्जी है उन्होंने यहां कलिंगा यूनिवर्सिटी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जबकि उनके द्वारा कलिंगा यूनिवर्सिटी में कोई पढ़ाई ही नहीं की गई, इसके अलावा उनके मार्कशीट में जो इनवायरमेंट नम्बर दर्शाया गया है, जो हर मार्कशीट में अलग-अलग है जबकि इनवायरमेंट नम्बर कॉलेज की मार्कशीट में एक ही होता है।
मणिशंकर ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा शुरू से ही फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर सभी कार्य किया गया है, जनता कांग्रेस जे के प्रदेश प्रवक्ता मनीशंकर पान्डेय ने कलेक्टर, आईजी व एसपी एवं संयुक्त पंजीयक सहकारी बैंक से इस मामले में तत्काल करवाई करने की मांग की है, उन्होंने गुरु दीवान के खिलाफ तत्काल करवाई कर उन्हें गिरफ्तार करने की अपील की है, उन्होंने कहा है कि इस मामले में कोई सकारात्मक करवाई नहीं होने वो अपराध पंजीबद्ध कराने उच्च न्यायालय की शरण में जाएंगे।