
बिलासपुर। प्रदेश की सरकार राज्य के लोगों को शिक्षित करने तरह-तरह की योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, सर्वशिक्षा अभियान, सब पढ़े-सब बढ़े, जैसी योजना का उद्देश्य शिक्षा की अनिवार्यता और उसके महत्व को जन-जन तक पहुंचाकर उन्हें शिक्षित और जागरूक करना है।
सरकार हर प्रकार से शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, वहीं इन कवायदों को सांसद आदर्श ग्राम के सरपंच जिबराते नजर आ रहे हैं, पूरा वाक्य विकासखण्ड कोटा के सांसद आदर्श ग्राम पंचायत गांव मिट्ठनवांग्राम का है, यहां पर आज साक्षर भारत अभियान के तहत ग्रामीणों के लिए परीक्षा का आयोजन किया गया था, जब परीक्षक यहां के परीक्षा केंद्र, पंचायत भवन पहुंचे तो, यहां पर गांव के सरपंच ने पंचायत भवन खोलने से मना कर दिया, परीक्षकों द्वारा बार-बार कहने के बावजूद भी सरपंच ने उनकी एक न सुनी।
परीक्षकों पर परीक्षा न लेने का बनाया दबाव, लौटना पड़ा ग्रामीणों को
परीक्षकों को सरपंच ने डराना धमकाना शुरू कर दिया, उन्होंने बार-बार सरपंच से परीक्षा केंद्र खोलने का आग्रह किया मगर सरपंच उनके इस निवेदन को दरकिनार करते हुए, अपने जिद पर अड़ा रहा, स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों को जबरन लौटना पड़ा।
ऐसी घटना प्रशासन की कमजोरी
ऐसी घटना प्रशासन के सभी दावो पर सीधी चोट है, शिक्षा के उन्मूलन के लिए शासन द्वारा किए सारे जतन धरे के धरे रह जाते हैं, जब ऐसे मनमौजी अपनी निरंकुशता से दूसरों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं, इनमे लगाम लगाना जरूरी है, क्योकि ऐसे ही लोग समाज की प्रगति में बाधक हैं।