
रायपुर। प्रदेश के शिक्षक पंचायत ननि मोर्चा के प्रांत संचालक वीरेंद्र दुबे ने बताया कि प्रदेश के शिक्षाकर्मियों का शिक्षाविभाग के मूल पदों पर संविलियन निश्चित रूप से सरकार का ऐतिहासिक निर्णय होगा।उन्होंने कहा को 1998 से मानव विकास का महत्वपूर्ण अंग शिक्षा में “कर्मी” जैसी व्यवस्था को लादकर जो अस्थाई संवर्ग पैदा कर दिया गया है, उसकी समाप्ति से ना केवल प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को लाभ मिलेगा अपितु छत्तीसगढ़ के युवाओं को भी शिक्षक जैसे गरिमामय पद में अपना उज्ज्वल भविष्य नजर आएगा।उन्होंने सरकार संविलियन की मांग को लेकर सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार हम शिक्षाकर्मियों का संविलियन करती है तो निश्चित ही उसे लाभ मिलेगा किन्तु यदि नजरअंदाज करती है या फिर से किसी नए जंजाल में फसाने की कोशिश करती है तो उसे भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है। वीरेंद्र ने कहा कि हमें संविलियन से कम कुछ भी मंजूर नहीं।प्रान्त संचालक वीरेंद्र दुबे ने बताया कि 20 वर्षों से हमारी एक ही मांग रही है संविलियन, स्वाभाविक है यदि तपस्या पूर्ण होकर मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी तो हर्ष का वातावरण बनेगा लेकिन उम्मीदों पर कुठाराघात होगा तो उतना ही आक्रोश भी पनपेगा। यदि संविलियन मिला तो सबको लाभ मिलेगा। प्रदेश के शिक्षाकर्मी साथी इस बार संविलियन प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।बहरहाल अब देखना ये होगा कि सरकार शिक्षाकर्मियों की मांग पर संविलियन के मुद्दे पर क्या करती है, उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश के शिक्षाकर्मी की आस संविलियन के निर्णय को लेकर प्रदेश सरकार पर टिकी हुई है।