बिलासपुर /सांसद आदर्श ग्राम के रोजगार सहायक को दो साल से नहीं मिला मानदेय, इलाज के अभाव में पिता की हुई मौत, दो साल का मासूम है कैंसर से पीड़ित ,परिवार बदहाली के कगार पर, जिम्मेदार अधिकारी खेल रहे जांच, जांच का खेल, पूर्व जनपद सदस्य के दबाव में अधिकारी मानदेय देने से कर रहे इंकार, मानवता हुई शर्मसार, मामला जनपद पंचायत कोटा अंतर्गत मिटठूनवां गांव का।
बिलासपुर, सांसद आदर्श ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त एक आदर्श ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक को पिछले दो सालों से, अपने मानदेय के लिये दर दर भटकना पड़ रहा है, वहीं जिम्मेदार अधिकारियों नें मानवीय पीडा को दरकिनार कर उसे पिछले दो साल से आज कल पर टाल रहे है। वहीं मानदेय के लिये जिम्मेदार अधिकारियों के चैंबर में आवेदन पर आवेदन देकर रोजगार सहायक थक चुका है।
कहते है मानवीय संवेदना हर मनुष्य में होती है लेकिन जानबुझकर मानवीय संवेदनाओं को नजर अंदाज करना मानवता की बडी भूल है, मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा एक मामला कोटा जनपद पंचायत अंतर्गत सांसद आदर्श ग्राम पंचायत मिटठूनवांगांव का प्रकाश में आया है, जहां कई सालों से पदस्थ रोजगार सहायक प्रशन्न कुमार भटपहरे को पिछले दो सालों से उसका मानदेय नहीं दिया जा रहा है, रोजगार सहायक अपने मानदेय के लिये जनपद कोटा से जिला पंचायत अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काटने मजबूर है।
ग्राम पंचायत मिठठुनवा गांव में वर्ष 2008 से पदस्थ रोजगार सहायक नें बतलाया कि पिछले दो सालों से उसे मानदेय के लिये अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काटना पड़ रहा है, वजह है कोटा जनपद पंचायत क्रमांक क्षेत्र 4 के पूर्व जनपद सदस्य मनोज गुप्ता। उनका कहना है कि पंचायत में चल रहे अवैध कार्य पर हमारा साथ दो मनरेगा के कार्य में फर्जी मस्टररोल हमारे आदमी का नाम डालो। उनके दवारा उसके खिलाफ जानबुझ कर व्यक्तिगत दोषारोपण व ग्रामीणों से शिकायत कराई जाती है, नौकरी से हटाए जाने की धमकी दी जाती है और अधिकारियों को झुठी शिकायत कर दबाव बनाकर जांच रिपोर्ट तैयार किये जाने की बात कहते है, ताकि मुझे सस्पेंड कर दिया जाय, जिससे पूर्व जनपद सदस्य पंचायत के निर्माण कार्यो में अपनी मनमानी और भ्रष्टाचार कर सके।
उनके द्वारा मुझे बार -बार सस्पेंड कराये जाने की धमकी भी दी गई है। अधिकारी भी उनसे भयभीत है, अभी मुझे सस्पेेेंड किये जाने की बात भी अधिकारी मौखिक रुप से कहते हैं, फिर जिला पंचायत से जांच होगी कहते हैं, ऐसा करते दो साल बीत गये उल्टे जनपद पंचायत कोटा के अधिकारियों द्वारा मुझसे पंचायत का काम भी लिया जा रहा है लेकिन मानदेय नहीं दिया जा रहा है। मेरी मानसिक और आर्थिक स्थिति दिन ब दिन खराब होती जा रही है।
उसके कथनानुसार बुजूर्ग बीमार पिता नें इलाज के अभाव में पांच माह पहले ही दम तोड दिया वहीं उसके एक छोटे तीन वर्षीय बेटे को पैर में मसल्स कैंसर है जिसके उपचार के लिये भी उसे पैसों की सख्त आवश्यकता है जिसके लिये उसे अपनी पुश्तैनी कृषि भूमि गिरवी रखकर बेटे का उपचार कराये जाने की बात कही, वहीं उसका परिवार मानदेय नहीं मिलने से बदहाली का जीवन जीने मजबूर है। उसकी अधिकारियों से अपील है कि उसे उसका मानदेय दिलाया जाय ताकि वह अपने मासूम बच्चे का ईलाज व अपने परिवार का भरण-पोषण सही तरीके कर सके।
वहीं जब न्यूज हब इनसाईट के रिपोर्टर नें मामले पर संबंधित अधिकारियों को पीड़ित के विषय में जानकारी दे कर उनका पक्ष जानना चाहा तो कोटा जनपद पंचायत के सीईओ हिमांशु गुप्ता नें कहा कि रोजगार सहायक के खिलाफ शिकायत की जांच रिपोर्ट जिला पंचायत को भेज दी गई है, मानदेय की राशि के विषय में मुझे जानकारी नहीं है देखता हूं, वहीं कोटा जनपद की मनरेगा प्रोग्राम अधिकारी रीना यादव नें भी मामले की जानकारी होने की बात कहते हुए जल्द ही मानदेय दिलाए जाने का भरोसा दिलाया। जिला पंचायत में पदस्थ एनआरजीए के समन्वयक प्रमिल लठारे ने भी शीध्र मानदेय भुगतान का आश्वासन दिया था। वहीं पूरे मामले से जिला पंचायत सीईओ फरिहा आलम सिद्दीक़ी को अवगत कराया गया था, उन्होनें देखनें की बात कही थी।