
बिलासपुर। जब सहारा ही बेसहारा हो जाए तो कोई सहारा नहीं बचता, सिवाय तकलीफों के ज़िन्दगी को और कुछ नहीं मिलता कुछ ऐसा ही मामला फिलहाल में सामने आया है।यह पूरा मामला जनपद पंचायत कोटा के अंर्तगत आनेवाले ग्राम मिटठूनवां का है, इस गांव को सांसद आदर्श गांव घोषित किया गया है। आदर्श ग्राम होने के बावजूद भी यहां कार्यरत रोजगार सहायक को दो साल से नहीं मिला मानदेय, जिसके कारण पैसों की तंगी के हालात में इलाज के अभाव में पिता की मौत हो गई, उसका दो साल का मासूम बच्चा कैंसर से पीड़ित है,परिवार बदहाली के कगार पर है। दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी जांच- जांच का खेल, खेलकर उनके हालातों का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।उक्त मामले में पता चला है कि पूर्व जनपद सदस्य के दबाव में अधिकारी ने रोजगार सहायक को मानदेय देने से इनकार कर दिया है।ऐसी घटनाएं आज भी समाज में मानवता को शर्मसार करती हैं, इतना सबकुछ होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी उनकी स्थिति को ठीक करने के बजाय उनकी गरीबी का बेखौफ होकर मजाक बना रहे हैं।