बिलासपुर: तहसीलदार नारायण गबेल और पटवारी अनिल डोडवानी के खिलाफ एक सामाजिक संस्था ने की एसीबी में शिकायत
बिलासपुर: वर्तमान में बिलासपुर का माहौल दो विभागों के कारण बिगड़ा हुआ है. वह विभाग है खनिज और राजस्व. खनिज विभाग के अधिकारियों पर कुछ धूर्त नेताओं का प्रेशर ज्यादा रहता है इस कारण वे चाह के भी अपना काम नियम के तहत नहीं कर पाते हैं. इसका ताजा उदाहरण बीते 15 मार्च को रेत चोरों पर की गयी खानापूर्ति कार्यवाही का है, जो शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
वहीं, अगर हम राजस्व विभाग की बात करे तो यहां राजस्व के प्रमुख अधिकारियों की गुंडागर्दी चरम पर है और इनकी करतूतें जगजाहिर है और इनकी सैकड़ों शिकायतें लिखित और मौखिक में मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, राजस्व मंत्री, कमिश्नर, कलेक्टर ओर एसीबी के पास की गयी है. बावजूद इसके इन पर कार्रवाई नहीं होना जिम्मेदारों की योग्यता में प्रश्न चिह्न खड़ा करता है.
हमें दो शिकायत पत्र प्राप्त हुई है जो तहसीलदार नारायण गबेल और पटवारी अनिल डोडवानी के खिलाफ है. शिकायकर्ताओं ने पत्र के माध्यम से कलेक्टर और एसीबी अधिकारी को गबेल और डोडवानी की करतूतों को उजागर किया है. पत्र के अनुसार, बहतराई में सड़क की जमीन को सरकारी जमीन में बैठाकर सरकार को ढाई करोड़ का चूना लगा दिया गया है। जिस जमीन पर सड़क बनी है वो एक किसान की थी जिसे अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सरकार से मुआवजा मिल चुका है।
शिकायतकर्ताओं की माने तो बहतराई ग्राम पंचायत की खसरा नंबर 310 जिसका रकबा 0.113 हेक्टेयर है। ये जमीन किसी समय एक किसान की थी अब इस जमीर पर PWD की सड़क बन चुकी है। इसका मुआवजा भी किसान को मिल चुका है। जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण की करवाई अविभाजित मध्यप्रदेश के समय हुई थी। लेकिन तब के पटवारी ने रिकार्ड दुरुस्त नही किया। जिसके कारण जमीन अभी भी किसान के नाम पर चला आ रहा था। इसी का फायदा वर्तमान पटवारी अनिल डोडवानी ने उठाया और जमीन को उसने किसानों के वरिसानों के नाम पर चढ़ा दिया। यही नहीं पटवारी ने विक्रय करने के लिए नकल भी जारी कर दिया। जमीन को किसानों के वरिसानों ने बेच भी दिया। जमीन बिक्री के बाद सीमांकन के बहाने सड़क की जमीन को सड़क किनारे की सरकारी जमीन में फिट कर दिया। अब वह जमीन करोड़ो की हो गई। जमीन की इस हेराफेरी में एक करोड़ रुपए से ज्यादा का लेनदेन हो गया है। दूसरी ओर इस हेराफेरी में सरकार को ढाई करोड़ रुपए का चूना लग चुका है। एक तो सरकारी जमीन हाथ से गई ऊपर से ऊपर से पटवारी और जमीन दलाल एक झटके में लाल हो गए।
नारायण गबेल की कार्यशैली से हर वर्ग परेशान है. बावजूद इसके ठोस कार्यवाही के नहीं होने से सरकार की छवि धूमिल होना लाज़मी है, जो बिलासपुर वासियों के लिए चिंता का विषय है.