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सरोज पांडे अगुवागे-छत्तीसगढ़िया पिछुवागे-रिजवी….

 

रायपुर/जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के मीडिया प्रमुख एवं पूर्व उप महापौर इकबाल अहमद रिजवी ने कहा है कि भाजपा में संघ की पसंद को विभिन्न राजनैतिक पदों पर थोंपने की प्रथा है। राज्यसभा के लिए सुश्री सरोज पांडे का चयन इस बात का स्पष्ट प्रमाण है। राज्यसभा से भाजपा के अनुसूचित जाति सतनामी समाज के व्यक्ति का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। कायदे से उनके स्थान पर सतनामी समाज के ही व्यक्ति का हक बनता है। या नहंीं तो अन्य वर्ग के छत्तीसगढ़िया का चयन किया जाता तो उचित होता परन्तु भाजपा ने उस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है कि (सुहागन वही जो पिया मन भाये) और छत्तीसगढ़िया धरमलाल कौशिक को ऐन वक्त पर नापसंद कर दिया गया। कौशिक का अपराध केवल इतना था कि उन्होंने राज्यसभा का फार्म खरीद लिया जो कौशिक के मार्ग का सबसे बड़ा रोड़ा बना। कौशिक की क्षमता, मेहनत व संगठनात्मक सेवा को नकार दिया गया। यानी एक पिछड़े वर्ग के छत्तीसगढ़िया को राज्यसभा जाने से रोक दिया गया। भाजपा की नजरों में भाजपा के 10 में से 9 विधायक सतनामी समाज से हैं। इसके बावजूद पुनः सतनामी को राज्यसभा भेजना भाजपा ने उचित नहीं समझा जो इस वर्ग के प्रति भाजपा की उपेक्षा को दर्शाता है। अगली विधानसभा एवं लोकसभा में भाजपा को सरकार उनके हाथ से निकल जाने का पूर्वाभास हो गया है इसलिए अपने चहीतों को राज्यसभा में पहुंचाने की मुहीम चलाई जा रही है। छत्तीसगढ़ से सरोज पांडे का चयन उसी श्रंख्ला की एक कड़ी है। छत्तीसगढ़िया को राज्यसभा जाने से दूर कर दिया गया है। भाजपा को छत्तीसगढ़िया के वोट से प्राप्त सत्ता से सरोकार है तथा सत्ता कैसे हासिल की जाये इसमें भाजपा को महारत भी हासिल है।

          भाजपा व कांग्रेस में आगामी चुनाव में किसकी टिकट कटेगी, कोई भरोसा नहीं है। छत्तीसगढ़ की जनता की आम राय एवं चर्चा है कि छत्तीसगढ़िया विधायकगण अपने अंतर्मन की आवाज सुनकर छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत को ही चुनकर राज्यसभा भेजें। विधायकगण दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस विषय पर गंभीरता से सोचें और छत्तीसगढ़ महतारी की सन्तान को ही चुनकर छत्तीसगढ़ के मान-सम्मान की रक्षा करें।

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