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जहां नारी की पूजा हो वहां देवता निवास करते हैं, महिला दिवस पर गुरू घासीदास विवि में परिचर्चा आयोजित….

बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग तथा प्रौद्योगिकी इकाई ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। इस दौरान महिला सशक्तिकरण, महिला स्वालंबन, महिला साक्षरता एवं कन्या भ्रूण हत्या विषय पर परिचर्चा की गई। विभिन्न विद्यार्थियों ने परिचर्चा में अपना विचार प्रकट किया।
परिचर्चा में सैकत पंडा ने बताया कि 1911 पहली यूनाइटेड नेशन्स 24 मार्च को महिला दिवस मनाया गया। भारत में अभी भी लिंग विभेद पाया जाता है। महिलायें अपने अधिकार के प्रति जागरूक नही है। इसी तरह श्याम कार्तिक साहू ने कहा कि 1908 में न्यूयार्क में 15 हजार महिलाओं ने आंदोलन किया, जिसमें उन्होंने मतदान, समान काम में समान वेतन के लिए आंदोलन किया। सूर्य प्रकाश पाली ने कहा कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते है। महिला दिवस मनाने की आवश्यकता केवल एक दिन नहीं होनी चाहिए, बल्कि हर दिन हमें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। सत्यजीत राय ने कहा कि महिला को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। वहीं दीपक सेठ ने कहा कि महिलाओं को आत्मरक्षा के प्रयास स्वयं करना चाहिये। दुष्यंत कुमार ने बताया कि महिलायें 24 घंटे काम करती है। राना तबस्सुम ने कहा कि दिल की धड़कन को समझेगा, मेरी उलझन को कौन समझेगा।एक बेटी नहीं हो अगर घर में, घर के आंगन को कौन समझेगा। मनोज कुमार यादव ने महिला पर आधारित कविता सुनाई। चेतन कुमार ने बताया कि किस कारण से महिला दिवस मनाने की आवश्यकता पड़ी। हम पुरूष प्रधान समाज में रहते है। महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए ही इस दिन को मनाने की आवश्यकता पड़ी। नारी तुम केवल श्रद्वा हो। जयशंकर प्रसाद ने कहा था आरक्षण संस्था नही बल्कि समान अवसर देना चाहिये। अनुराग उपाघ्याय ने कहा कि महिलाओं को अभी भी शक्तिहीन माना जाता है। शिवानी पाण्डेय ने कहा कि पुरूष प्रधान समाज की स्थापना महिलाओं ने ही की है। महिला पुरूष की सुनती है इसलिए पुरूष उन्हें सुनाता आ रहा है। कार्यक्रम का आयोजन दोनों कार्यक्रम अधिकारी नमिता शर्मा एवं सोमादास ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी बालिका स्वयंसेवकों का सम्मान किया गया।

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