बिलासपुर। लालखदान गोलीकांड के बाद जहां पुलिस विभाग वाहवाही लूटने देशी कट्टा और जिंदा कारतूस जब्त कर अपनी ही पीठ थपथपा रही है तो वहीं शहर की बहादुर पुलिस को गुंडागर्दी करने वाले तखतपुर विधायक मामले में सांप क्यों सूंघ जाता है।
ये सवाल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश प्रवक्ता मनीशंकर पाण्डेय का सरकार और मुख्यमंत्री से है। उन्होंने पूछा है जिस खाकी वर्दी के दम पर पुलिस जनता की सुरक्षा करने का दावा करती है, उसी पर हमले के बाद भी पुलिस का आत्म सम्मान क्यों नहीं जाग रहा है। हमला एक दरोगा पर हुआ है, लेकिन विभाग को तो अपने अफसर पर ही भरोसा नहीं है। तभी तो मामले को जांच की आग में अग्निपरीक्षा देने की चुनौती दी गयी है। यही दबंगई किसी आम आदमी या किसी पत्रकार ने थाना में घुसकर की होती तो शायद वह अब तक पुलिस उसे थर्ड डिग्री से अपनी ताकत का अहसास करा चुकी होती। लेकिन खाकी की सारी मर्दांगी खादी के आगे पस्त हो जाती है। एक मामूली कार्यकर्ता पर भी कार्यवाही से जिस पुलिस के छक्के छूटते हो उससे एक विधायक और उनके बेटे पर कार्यवाही की उम्मीद कैसे की जा सकती है, वो भी तब जब विधायक सत्ताधारी पार्टी से हो। उन्होंने कहा कि तखतपुरकांड ने पुलिस की छवि धूमिल की है, उसकी विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग रहे हैं। मामला पेचीदा तो कतई नहीं है, क्योंकि इसके गवाह खुद तत्कालीन थाना प्रभारी और एक आरक्षक है, जिनकी आंखों के सामने सबकुछ हुआ लेकिन देखकर भी आंख मुंदने की इस अदा का कोई क्या करे।
पुलिस से उठ रहा भरोसा
उन्होंने कहा कि गुंडों पर कार्यवाही की जगह जब विभाग अपने ही अफसर को लाइन अटैच करेगी तो विभाग का हौंसला टूटना लाजमी है। अब तो उस पुलिस अफसर को भी यह समझ आ गया होगा कि जब विभाग ही मदद नहीं कर रहा है तो भला बाकी लोग क्या करेंगे। ,ऐसे में पुलिस से भरोसा उठाना तय है। हद तो तब हो गई जब पुलिस विभाग खुद इस मामले में शांत होकर बैठ गया है। इधर पीड़ित इतना ज्यादा डरा और सहमा हुआ है कि वह तखतपुर जाने के नाम से डर रहा है, जिस पुलिस से लोग न्याय की उम्मीद रखते है अब उन्हें ही न्याय नही मिल रहा है। अब आप खुद सोचिए कि जब कंधे में दो सितारा लगे अधिकारी को भटकना पड़ रहा है तो भला आम जनता को कितनी दिक्कत होती होगी न्याय की तलाश में।,,
बेबस और लाचार हुई पुलिस
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात यही बता रहे है कि एक सत्ताधारी भाजपा नेता के सामने पुलिस बेबस और लाचार हो गई है, जो खुद अपने ही विभाग के एक पुलिसकर्मी की मदद करके न्याय नहीं दिला सकते। वह बाकी लोगांे को क्या और कैसे न्याय दिलाएगा। जो जो बडी बातें करने वाले इस राज्य के मुखिया व सत्ता पक्ष के नेता के सामने नतमस्तक खडे़ हैं इसे विडम्बना ही कहा जा सकता है इस राज्य का। बहरहाल संसदीय सचिव विधायक राजू क्षत्रिय की गुंडागर्दी और मारपीट का मामला प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश भर में चर्चित हो गया है, जिसमे थाना में घुसकर आरोपी को छुड़ाया और पुलिस के अफसर को अपनी लायसेंसी बंदूक से जान से मारने की धमकी दी।, इस घटना ने सिर्फ पुलिस की साख पर ही बट्टा नहीं लगाया बल्कि विधायक के कैरियर पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
तखतपुर से नया प्रत्याशी
उन्होंने कहा कि इस पूरा घटनाक्रम के बाद भाजपा द्वारा इस बार तखतपुर से शायद नए प्रत्याशी उतारा जाए। वैसे पुलिस ने रही सही अपनी हो रही किरकिरी से बचने व ईज्जत को बचाने विधायक के बेटे को जरूर थाने में बुलाया है मगर सिर्फ उनकी आव भगत करने और उनसे षड्यंत्रपूर्वक मीडिया को दूर रखा जा रहा है। यह भी एक संदेह को जन्म देता है।