बिलासपुर का अमर से और अमर का बिलासपुर से पीछा छूटा
विधानसभा चुनाव में हार की आशंका से पार्टी ने लिया निर्णय
बिलासपुर से अमर के बदले किशोर राय ,व्ही रामाराव और डॉ.मनीष राय में से किसी को बनाया जाएगा प्रत्याशी
बिलासपुर। लगातार चार बार बिलासपुर से विधायक रहे मंत्री अमर अग्रवाल को राज्य सभा में जाने की इच्छा पार्टी ने पूरी कर दी है। भाजपा ने श्री अग्रवाल को छत्तीसगढ़ से रिक्त होने वाले राज्य सभा के एक मात्र सीट के लिए पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया है। विधान सभा चुनाव में अब अमर के बदले पार्टी महापौर किशोर राय ,पार्षद व्ही रामाराव और डॉ.मनीष राय में से ही किसी को प्रत्याशी बनाएगी।
दो दशक तक ठसके के साथ राजनीति में एकाधिकार बनाए रखना कम नहीं होता मगर अमर अग्रवाल ने यह करके दिखाया। सत्ता और संगठन को अपनी मुठ्ठी में रखकर चलाया एवं साम दाम ,दंड भेद के बल पर 4 बार विधायक रहते हुए उन्होंने मिसाल कायम की। चुनाव जीतने के लिए उन्होंने हर ऐसे शख्स और कमेटियों को अपने पक्ष में किया जो चुनाव को प्रभावित कर सकते थे। इसमें वे सफल भी रहे मगर उनके कई ऐसे निर्णयों से शहर की जनता को तकलीफ होने लगी जो वर्षों से पूर्ण नहीं हो सकी /एक सर्वे कराकर जनता के मिजाज को टटोला गया तो जमीन खिसकती नजर आई। सूत्र बताते हैं कि छ: माह पूर्व अमर अग्रवाल ने सत्ता और संगठन के समक्ष विधान सभा चुनाव नहीं लड़ने अपनी मंशा से अवगत कराते हुए राज्य सभा या फिर लोक सभा में जाने की इच्छा जताई थी पार्टी ने तब उन्हें बिलासपुर की बिगड़ी स्थिति को सुधारने कहा था।
प्रदेश में राज्य सभा के एक पद खाली होते देख हालांकि इसके लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक ,पूर्व मंत्री डॉ.कृष्णमूर्ति बाँधी सहित गुहा राम अजगले भी प्रयास कर रहे थे मगर पार्टी ने अमर अग्रवाल के नाम को हरी झंडी दे दी है।
राज्य सभा के लिए प्रत्याशी घोषित किए जाने पर अमर अग्रवाल की इच्छा पूरी हो गई है मगर कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया थी कि चलो अच्छा हुआ बिलासपुर से पिंड तो छूट गया अमर बिलासपुर के लिए ही नहीं बल्कि बीजेपी के लिए भी बोझ बन चुके हैं। पार्टी के नेताओं ने जानबूझकर उन्हें छत्तीसगढ़ की राजनीति से दूर करने के लिए ही राज्य सभा में भेजने का निर्णय लिया है।
अमर के बदले कौन ?
बिलासपुर विधान सभा क्षेत्र से अब अमर अग्रवाल के बदले भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा यह प्रश्न अभी से उठने लगा है तो महापौर किशोर राय ,पार्षद व्ही रामाराव और डॉ.मनीष राय के नामो की चर्चा हो रही है। वैसे इन तीनो नामो पर अमर अग्रवाल की सहमति नहीं है क्योंकि महापौर किशोर राय श्री अग्रवाल के रुख को देखते हुए संघ के पदाधिकारी काशीनाथ गोरे के साथ सक्रिय हो गए हैं ताकि संघ के कोटे से अपना नाम वे पार्टी में फायनल करा सकें वहीं रामा राव तो अमर के घोषित विरोधी हैं इसलिए रामाराव प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक के सहारे बिलासपुर से टिकट पाने की जुगाड़ में लगे हैं जबकि मनीष राय ने अभी अभी अमर से न केवल पंगा मोल लिया है बल्कि सार्वजनिक आलोचना कर संघ के बड़े नेताओं के मार्फत अपनी दावेदारी भी ठोक दिया है।
कांग्रेस में उत्सव का माहौल
अमर को राज्य सभा में भेजे जाने भाजपा के निर्णय से कांग्रेस खेमें में उत्साह और उत्सव का माहौल है अब कांग्रेस नेता कहने लगे हैं कि बिलासपुर में अब कांग्रेस की वापसी आसान हो गई है।
कांग्रेस नेता शैलेष पांडेय ने कहा कि अमर के बगैर चुनाव में मजा नहीं आयेगा क्योंकि शहर की परेशान जनता उन्हें हारते हुए देखना चाहती थी। अमर के बदले जोगी प्रत्याशी भाजपा का होगा वह चुनाव में टोकन फाइट ही करेगा।
कांग्रेस शहर अध्यक्ष नरेंद्र बोलर ने कहा कि हार के डर से मंत्री जी ने स्वयं मैदान छोड़ दिया है पिछले 20 वर्ष के दौरान शहर नर्क ने तब्दील हो चुका था। कांग्रेस अब शहर को संवारेगी और अमर के तमाम अपूर्ण कार्यों पर रोक लगाकर उसकी जाँच कराएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि उन्होंने जबसे बिलासपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा की है उसी दिन से अमर की नींद गायब हो गई है और हार के डर से उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। श्री जोगी ने कहा कि वे बिलासपुर शहर की जनता को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि बिलासपुर में अब उसी तीव्र गति से विकास होगा जैसे उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में वर्ष 2000 में किया था।
क्या होगा अमर समर्थकों का ?
बीस वर्ष की राजनीति में अमर अग्रवाल ने भाजपा के तमाम पुराने नेताओं को राजनैतिक वनवास पर भेज दिया था और युवाओं ,व्यापारियों ,सामाजिक संगठनों ,स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ,मितानिनों ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ,एनजीओ ,बिल्डर्स ,ठेकेदारों ,कोयला के बड़े व्यापारियों आदि की नई टीम बना ली थी जो भाजपा से कम अमर से ज्यादा जुड़े हुए हैं अब अमर अग्रवाल के राजयसभा में चले जाने से इन समर्थकों का क्या होगा ?यह प्रश्न अभी से उठने लगा है। राजयसभा में जाना यानि प्रदेश की राजनीति से दूर हो जाना है। मंत्री पद का दबाव और प्रशासन में हस्तक्षेप भी अब नहीं रह जाएगा। ऐसे में अमर के तमाम समर्थक नए आका की तलाश में इधर उधर होंगे इसमें कोई दो राय नहीं है।(होली समाचार )