बिलासपुर। सिम्स ऑडिटोरियम में महिला यौन उत्पीड़ंन आंतरिक निवारण समिति द्वारा विविध साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन दोपहर 12 से 1 बजे तक किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट के विनोद कुजूर थे।
उन्होंने महिलाआंे के कार्यस्थल पर अधिकार एवं कानून के विषय पर प्रकाश डाला। सिम्स महिला यौन उत्तपीडंन आंतरिक समिति की अध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने लैंगिक समानता पर व्याख्यान दिया। उन्होंने 2017 के विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के आधार पर महिला एवं पुरुष की समानता सूचकांक में भारत की स्थिति इक्कीस पायदान नीचे जाने का कारण महिलाओं के आर्थिक भागीदारी कम होना को कारण बताया। उन्होंने महिलाओं को सामान स्तर पर लाने के लिए आर्थिक सहभागिता लाने पर जोर दिया। अधिवक्ता रीता राजगीर ने नारी शक्ति पर व्याख्यान दिया। वहीं सामाजिक योगदान पर अपनी अभिव्यक्ति प्रकट की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. पीके पात्रा, विशिष्ट अतिथि डॉ रामनेश मूर्ति, उपभोक्ता एवं जन सुविधा न्यास बोर्ड के जज नारायण सिंह, लीगल सेल सिम्स के डाॅ. भानू प्रताप सिंह एवं डॉ भूपेंद्र कश्यप थे। व्याख्यान के पश्यात नर्सिंग इंचार्ज सुश्री बोगी, वेरोनिका पाल, रमोला दास, सुनीता तिर्की, आशा मोनिका एक्का, पिंकी दास, पुष्पलता शर्मा, राजकुमारी हिरवानी, मीना निकुंज एवं चिकित्सा छात्रा अंजिल पाल लुका व मालविका चैबे द्वारा सूंदर गीतों की प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम में सिम्स के चिकित्स्क, अधिकारी, कर्मचारी इत्तयदि लगभग 400 लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से दिनेश निर्मलकर, अमरु साहू, नीलम लहरे, गंगाधर चंद्राकर, जितेंद्र दुबे, प्रशकीय अधिकारी विजय वर्मा, सुंदर्शन, नीतू सोनी, लीलाधर यादव, अवधेश सिदार, डॉ एआर बेन,, डॉ सुजीत नायक, डॉ हेमलता, डॉ विभा धु्रव एवं छात्र-छात्रा, कर्मचारियों का विशेष योगदान था।