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जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से निकाले गए 106 कर्मियों की बढ़ी मुश्किलें, संयुक्त पंजीयक ने पहले के निर्णय को बताया उचित…..

बिलासपुर। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में 106 लोगों की भर्ती का मामला उलझ गया है। बीते साल इन लोगों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन शिकायत और जांच के बाद इन्हें पद से हटा दिया गया है। अब निकाले गए सभी लोग सहकारिता विभाग व ट्रिब्यूनल के बीच पूरी तरह फंसकर रह गए हैं। इधर, सहकारी संस्थाएं बिलासपुर के संयुक्त पंजीयक ने पूर्व में लिए गए निर्णय को ही उचित बताया है। ऐसे में निकाले गए कर्मचारियों की मुश्किलें एकबार फिर से बढ़ गई है।

उल्लेखनीय है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अंतर्गत 106 कर्मचारियों की विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद भर्ती हुई थी। कुछ साल तक ठीक-ठाक काम करने के बाद इनकी शिकायत हुई। मामले में जांच के लिए कलेक्टर अन्बलगन पी, बैंक के सीईओ अभिषेक तिवारी व सहकारिता विभाग के जेआर की टीम बनाई गई। इस टीम ने पूरी तरह जांच करने के बाद इन 106 लोगों को पद से हटा दिया। एकाएक 106 लोगों को पद से पृथक किए जाने के बाद हड़कंप मच गया। वहीं निकाले गए कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई। उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाईकोर्ट ने सहकारिता विभाग के डीआर के पास जाने की सलाह देते हुए मामले को खारिज कर दिया। इधर, हाईकोर्ट में बात नहीं बनने पर निकाले गए कर्मचारी सहकारिता विभाग के डीआर के पास पहुंचे, लेकिन उन्होने सुनवाई करने का खुद को अधिकार नहीं होने का हवाला देकर उन्हें चलता कर दिया। इसके बाद सभी ने ट्रिब्यूनल से गुहार लगाई, लेकिन वहां से भी जवाब मिला कि मामले की सुनवाई सहकारिता कोर्ट में ही हो सकती है। इसके चलते वो इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकते। इसके फिर निकाले गए लोग सहकारिता विभाग के जेआर के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने कहा कि जांच टीम में वे खुद शामिल है। इसके चलते मामले में वे निर्णय नहीं दे सकते। फिर से निकाले गए लोगो ने सहकारिता विभाग के पंजीयन के समक्ष मामले को रखा। इस पर सहकारी संस्थाएं बिलासपुर के संयुक्त पंजीयक ने 16 फरवरी को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष मुन्नाराम राजवाड़े को पत्र जारी कर पूर्व के निर्णय को उचित बताया है।

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