नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 साल की एक लडक़ी का 25 हफ्ते का गर्भ गिराने की मंजूरी देने से आज मना कर दिया। मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि ऐसा करने से लडक़ी एवं उसके गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की जान को खतरा होगा। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने कहा कि वह चिकित्सीय रूप से गर्भ गिराने की नाबालिग लडक़ी की इच्छा का समर्थन नहीं कर सकते क्योंकि गर्भ के पलने बढऩे की क्षमता है।
एम्स के एक मेडिकल बोर्ड ने पीठ से कहा कि गर्भ ने आकार ले लिया है और उसे गिराने की मंजूरी नहीं दी जा सकती क्योंकि मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा है। पीठ ने बोर्ड की सलाह मानते हुए लडक़ी को गर्भपात की मंजूरी देने से मना कर दिया और उसकी याचिका का निपटान कर दिया।
पुलिस ने गत 27 नवंबर को उस व्यक्ति को हिरासत में ले लिया था जिससे लडक़ी की शादी हुई थी। उसपर बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। लडक़ी ने अपने मां बाप का घर छोडक़र शादी की थी। बाद में उसे उसके मां बाप के बाद पहुंचा दिया गया।