बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से मात्र 45 किलोमीटर दूर बेलगहना रेल्वे स्टेशन के ठीक पीछे पहाड़ी की चोटी पर स्थित है सिध्द आश्रम। यह आदिकाल से ऋषि मुनियों की तपो स्थली रही है। पहाड़ी पर स्थित सिध्द बाबा का प्राचीन मंदिर इस मंदिर में एक शिला जो पहाड़ी के गर्भ से निकली है लोगों की आस्था और श्रध्दा का केंद्र है। लोग इसे सिध्द बाबा के नाम से पुकारते है। हजारों और लाखों की संख्या में भक्तों का रेला रेलमार्ग और बस से यहां सिध्द बाबा के दर्शन करने आता है। सैकड़ो सीढ़िया चढ़कर श्रद्धालु मंदिर पहुंच सिध्द बाबा के दर्शन करते हैं । पहाड़ी पर पहुंचकर सिध्द बाबा के दर्शन मात्र से चित्त शांत हो जाता है मानों सारी समस्याऐं दूर हो गई हो।
भक्तों और स्थानीय लोंगों की माने तो यह शिला स्वयंभू है आज से पचास साल पहले इस शिला की ऊंचाई मात्र चार से पांच इंच ही थी लोगों के देखते -देखते ही यह अदभुत शिला चमत्कारिक रुप से ना केवल अपने आकार में बढ़ती गई वरन लोगों की आस्था और विश्वास भी बढ़ता गया। आज इस शिला की ऊंचाई लगभग पांच से छह फीट है और लोगों की माने तो यह अदभुत शिला भूगर्भ से उपर की ओर बढ़ती ही जा रही है पहाड़ी की चोटी पर स्थापित मंदिर में बंदन के लेप और श्रीफल से धिरे इस शिला के प्रति लोगों की आस्था देखते ही बनती है। लोगों की आस्था और पूरी होती मनोकामना ने इस सिला को सिध्द बाबा का नाम दे दिया और आश्रम सिध्द बाबा आश्रम के नाम से जाना जाने लगा।
श्रीफल से घिरे इस शिला को देखकर आप भी एक बार भौंचक्के रह जायेंगे क्योकि यह शिला कोई साधारण शिला नहीं है इस शिला में लोगों की आस्था और विश्वास की आत्मा बसती है और चंद फुल एक नारियल और अगरबत्ती के चढ़ावे मात्र से यहां लोगों की मनोकामनाऐं पुरी होती है। बेलगहना के हनुमान अग्रवाल की माने तो यहां प्राचीन मंदिर में विराजे सिध्द बाबा की प्रतिमा जिसे लोग दक्षिणमुखी हनुमान जी के नाम से पुजते है। ब्रम्हलीन हुए स्वामी जी के दवारा बताया जाता था कि सालों पहले यहां केवल जंगल हुआ करता था तब यहां एक साधु निवास करते थे भिक्षाटन के लिये नीचे बस्ती जाते लेकिन कुछ दिनों से बस्ती नहीं आने पर बस्ती के लोगों ने पहाड़ी पर आकर देखा तो उन्हें एक चिमटा और त्रिशुल मिला। सिध्द बाबा नें निसंतान रेल्वे के स्टेशन मास्टर को स्वप्न में मंदिर बनाऐ जाने की बात कही और पुत्र प्राप्त होनें का आशीर्वाद दिया। पुत्र होनें ने सिध्द बाबा के चमत्कार का प्रमाण रातों रात आग की तरह फैल गई लोगों की आस्था का केन्द्र बढ़ता गया।
लोरमी के एक श्रध्दालु प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि उनकी आस्था तकरीबन 18 साल पहले बनी जब वो यहां की चमत्कारिक धटनाओं के बारे में सुनें आज 18 सालों से आते रहने के कारण उन्होनें सिध्द बाबा के षिला को बढ़ता बताया और धीरे इनकी ऊंचाई काफी बढ़ गई।
सिध्द बाबा की बात हो और ब्रम्हलीन हो गये स्वामी सदानंद महराज जी की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता भक्तों की मानें तो स्वामी सदानंद महराज जी नें सिध्द आश्रम बेलगहना जहां अदभुद अनोखा अनुठा विशेष फलदायी पारद शिवलिंग का निर्माण वैदिक पध्दति से किया था। यह भौतिक अध्यात्मिक दोनो उपलब्धियों को देने वाला शिवलिंग है। वैदिक परम्परा से संस्कारित तरल पारद को ठोस शिवलिंग मे परिवर्तित करने काफी लंबा समय व अथक परिश्रम लगा यह कार्य स्वामी सदानंद जी महराज के सानिध्य मे उनकी सिध्दी व तप बल से ही पूर्ण हो सका। महाशिवरात्रि व सावन मास में यहां दुर दुर से श्रध्दालु भक्त मात्र पारद शिवलिंग के दर्शन को आते हैं और दर्शन कर अपने को धन्य मानतें हैं ऐसी मान्यता हैं कि पारदशिवलिंग के दर्शन मात्र से एक हजार करोड़ शिवलिंग के दर्शन का फल प्राप्त होता है सिध्द आश्रम के सचिव हनुमान अग्रवाल ने बताया कि पारद शिव लिंग के दर्शन मात्र से एक हजार करोड़ शिवलिंग के दर्शन का लाभ प्राप्त होता है। वही इस वैदिक पध्दति से निर्मित पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मानव के दुख दर्द दूर हो जाते हैं ।
जहां अदभुत पारद शिवलिंग के वैदिक पध्दति से निर्माण ने इस सिध्द आश्रम बेलगहना की प्रसिध्द को बढ़ाया है वहीं उस अदभुत पारद शिवलिंग के दर्शन को दूर दराज से हजारो की संख्या मे श्रध्दालुओ और भक्तों का आना इस अनोखे पारद शिवलिंग की महिमा को दर्शाता है। एनटीपीसी कोरबा के प्रेमलाल वर्मा की माने तो सिध्द बाबा तो चमात्कारिक हैं ही लेकिन स्वामी सदानंद महराज भी सिध्द बाबा की तरह चमत्कारिक थे। पीनी के लिये बोर किया जा रहा था लेकिन 250 फीट के बाद भी पानी नहीं निकल रहा था जिसकी जानकारी देने हम लोग स्वामी जी के पास पहुचें और बताया कि बाबा पानी नहीं निकल रहा है स्वामी जी ने कहा कि पानी तो निकल रहा है जाकर देखा तो पानी वाकिय में निकल रहा था। हमारे आश्चार्य का ठिकाना नहीं रहा।
चमत्कार और आस्था से सराबोर सिघ्द आश्रम बेलगहना की प्रसिध्दि छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन पुरे देश में आस्था का केन्द्र बिन्दु है क्योकि यहां सिध्द शिला पर अपने सीस झुकाने हजारों और लाखों श्रध्दालूओं का जन सैलाब आता है और सिध्द शिला पर केवल एक नारियल और अगरबत्ती चढ़ा अपनी मनोकामना बताकर चला जाता है फिर से बाबा के दरबार में हाजिरी देने आने के लिये क्योंकि मनोकामना पूरी करने बाबा भोलेनाथ पहाड़ी पर विराजमान जो है।