नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि यदि कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता तो वो कोई भी राजनीतिक पार्टी कैसे बना सकता है? इसी के साथ वह पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए कैसे चुन सकता है. सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दागी नेता चुनाव तो नहीं लड़ सकते हैं लेकिन वह राजनीतिक पार्टी का गठन जरूर कर सकते हैं. इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि जो भी नेता दोषी ठहराए गए हैं उन्हें पार्टी का गठन करने से रोकने का कोई कानून नहीं है, अपनी बात को और स्पष्ट तरीके से रखते हुए सरकार ने कहा कि अपराध साबित होने के बाद नेता चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इससे लालू यादव का संकट बढ़ा गया है क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि- जो चुनाव नहीं लड़ सकते, वो पार्टी कैसे चला सकते हैं.
केंद्र सरकार के जवाब सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अलग स्थिति है कि कोई व्यक्ति स्वंय तो चुनाव मैदान में उतर नहीं सकता लेकिन वह चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन कर सकता है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग अगर स्कूल या कोई दूसरी संस्था बनाते है तो इसमें किसी भी तरीके की कोई समस्या या परेशानी नहीं लेकिन वह एक पार्टी बना रहे हैं जो सरकार चलाइएगी जो मैटर करता है. अदालत ने सरकार से चुनाव प्रक्रिया की प्राथमिकता तय करने पर भी बल दिया है.
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है, गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दोषी नेताओं को राजनीतिक पार्टी बनाने और किसी भी पार्टी के किसी सदस्य के रूप में बने रहने पर चुनोती दी गई है. जब तक वो वोट देने से अयोग्य रहता है. आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 26 मार्च को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.