बिलासपुर. मुख्यमंत्री के बजट पेश करने के बाद कांग्रेस नेता शैलेष पाण्डेय रमन सरकार पर जमकर हमला बोलते दिखाई दिए | शैलेष ने बजट को सिर्फ लोकलुभावन, चुनावी और भ्रष्टाचारी बजट करार देते हुए कहा कि यह यथार्थ से कोसों दूर है | इस बजट में किसी भी वर्ग का ध्यान नहीं रखा गया है, सरकारी आकड़े ही इस बजट की पोल खोल रही है | सरगुजा, बस्तर के विकास के लिए करोड़ों रुपये कि बजट में प्रावधान रखने वाले मुख्यमंत्री ने एकबार फिर बिलासपुरवासियों से सौतेला व्यवहार करते दिए | यह बिलासपुर की कमजोर नेतृत्व का ही परिणाम है की मुख्यमंत्री बिलासपुर को ठेंगा दिखा गए |
उन्होंने कृषि के सम्बन्ध में रमन सरकार को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने कृषि के लिए 13480 करोड़ रूपए का प्रावधान करने बस से ही किसान समृद्ध नहीं हो जायेंगे | किसानों को 2100 रुपये समर्थन मूल्य और 300 सौ रुपये धान का बोनस देने का वायदा करके चुनाव जीतने वाली सरकार समर्थन मूल्य तो अब तक बढ़ी नहीं, और किसानों कि आय दुगुनी करने कि बात कर रहे हैं | कृषि की हालात सुधारने, उसे अधिक उत्पादक बनाने के लिए हर बजट में उपाय किए जाते हैं. कृषि कर्जों का लक्ष्य हर साल बढ़ा दिया जाता है. सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की जाती हैं, उन पर व्यय भी बढ़ा दिया जाता है. फसल बीमा योजना में आवंटन बढ़ता है, उसका दायरा भी बढ़ाया जाता है. हर बार कृषि मार्केटिंग को कारगर बनाने की बात की जाती है. इन तमाम प्रयासों के बावजूद किसानों की आमदनी पिछले चार सालों से स्थिर बनी हुई हैं, हालत यह है कि सरकार ही ने खुद ही सदन पटल पर 1300 से भी अधिक किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा पेश की है ।
उन्होंने नए इंफ्रास्ट्रचर पर रमन सरकार पर तंज कस्ते हए कहा कि सरकार ने नए महाविद्यालय और आईटीआई खोलने की घोषणा की है, जबकि जो महाविद्यालयों और आईटीआई संचालित हैं, उनकी अधोसंरचना, लैब, लायब्रेरी, प्राध्यापक और शिक्षा का माहौल खस्ताहाल है । सरकार विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधाएं देना छोड़कर कालेजों में सेटेलाइट अध्ययन केंद्र की घोषणा कर टैक्नालाजी का लॉलीपॉप दे रही है।
उन्होंने कहा कि स्कूल, अस्पताल, कॉलेज, प्रशासनिक बिल्डिंग बनेगी, लेकिन उनमें काम करने के लिए हजारों रिक्त पदों को भरने की कोई योजना नहीं है । इससे सिर्फ फायदा ठेकेदारों को पहुँचाया जा रहा है ।
श्री पाण्डेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बच्चों की भविष्य गढ़ने वाले शिक्षाकर्मियों के भविष्य को ही सरकार अँधेरे में राखी हुई है, बजट में संविलियन को लेकर कोई बात का जिक्र भी नहीं किया गया | शिक्षाकर्मियों को रमन सरकार लगातार उपेक्षा कर रही है |
श्री पाण्डेय ने कहा की उज्जवला योजना में पहली बार गैस कनेक्शन लगाने को तो सस्ता कर दिया, लेकिन दुबारा गैस भरने पर कोई छूट नहीं दिया जा रहा है, लोगों को आर्थिक बोझ टेल दबाया जा रहा है | इस योजना का फायदा सिर्फ अदानी-अंबानी को ही मिल रहा है, ना कि गृहणियों को ।
श्री पाण्डेय ने कहा कि एकसाल पहले शराब कि सरकारीकरण करने वाली सरकार अब उसे धंधा बना चुकी है, शराबबंदी को लेकर कोई घोषणा नहीं कि गई |
श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन खेलकूद और खिलाड़ियों के लिए कोई योजना नहीं है । न खिलाड़ियों के लिए न सुविधा न प्रोत्साहन ऐसा बजट रमन सिंह ने दिया है ।
उन्होंने कहा कि टायलेट बनाने के लिए 800 करोड़ रूपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है जबकि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निर्मल भारत अभियान को बंद करके नाम बदलकर सरकार उसे ही काफी कर रही है ।
श्री पाण्डेय ने कहा कि सरकारी आंकड़ों का फर्जीवाड़े का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दो दिन पहले प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय 92 हजार रूपए घोषित करके सरकार ने अपनी थपथपा रही है । यहां कर्मचारी, शिक्षाकर्मी, पेशनर, निराश्रित और जरूरमंद लोगों के पास पैसे नहीं है। प्रदेश के लाखों युवा बेराजगार हैं । रमन सरकार का ये बजट चुनावी बजट है, इसमें आम जनता को कोई लाभ नहीं है।