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बजट 2018: कम हो सकता है टैक्स का बोझ…….

नई दिल्ली। देश वित्त मंत्री अरुण जेटली आज आम चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगे। इस बार लोगों का ध्यान ‘क्या सस्ता, क्या महंगा’ से हटकर आयकर स्लैब में बदलाव पर रहेगा। और वेतनभोगियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इसबार उन पर मेहरबान हो सकते हैं।

वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) के लागू होने के साथ ही अप्रत्यक्ष कर लगाने का काम सरकार के हाथों से निकल गया है और यह काम अब वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद करती है जिसमें सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री सदस्य हैं। अब बजट में अप्रत्यक्ष कर को लेकर बहुत कुछ नहीं होगा, लेकिन सीमा शुल्क में बदलाव होने पर आयातित वस्तुओं की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह अंतिम पूर्ण बजट है। इसके साथ ही इस वर्ष आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। सरकार के कृषि क्षेत्र और छोटे उद्यमों पर विशेष ध्यान देने की संभावना है क्योंकि वर्ष 2022 तक सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर काम कर रही है।

इसके लिए सरकार कृषि क्षेत्र के लिए कुछ बड़ी घोषणा कर सकती है। आपूर्ति से जुड़ी बाधाएँ दूर की जा सकती हैं। मनरेगा जैसे कार्यक्रमों के लिए अधिक राशि आवंटित की जा सकती है। कृषि बीमा और भसचाई कार्यों तथा सामाजिक सुरक्षा उपायों के लिए अधिक राशि दी जा सकती है। इसके साथ ही छोटे एवं मध्यम उद्यम पर सरकार अधिक ध्यान दे रही है क्योंकि ये सर्वाधिक रोजगार सृजित करने वाले क्षेत्र हैं।

नोटबंदी और जीएसटी के कारण अर्थव्यवस्था में आयी सुस्ती और वित्तीय सुद्ढ़ीकरण  पर फिलहाल विराम लगाने के आर्थिक सर्वेक्षण के सुझाव के मद्देनजर यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार वर्ष 2018-19 के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ा सकती है क्योंकि आम चुनाव से पहले लोककल्याणकारी कार्यों पर सरकारी व्यय बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है।

इस बार के बजट में जिन बातों पर ध्यान दिये जाने की संभावना है उनमें व्यक्तिगत आयकर, कृषि क्षेत्र, मनरेगा, ग्रामीण विकास, कृषि ऋण, कॉर्पोरेट कर, न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट), रेलवे, राजमार्ग और सरकारी कंपनियों में विनिवेश आदि शामिल हैं।

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