बिलासपुर की जीवनदायनी अरपा जिसके कभी बारहोंमासी जीवंत प्रवाह में नाव और डोंगा चला करते थे, मत्सय आखेट से लोगों का गुजारा होता था, किसानों की फसलें लहलाती थीं, इस जीवनदायनी के पवित्र जल से लोंगों की प्यास बुझती थी कुल मिलाकर लोगों का सहारा थी अरपा। आज जीवनदायनी अरपा का अस्तित्व खतरे में है शहर की गंदगी कूड़ा करकट और नाले का गंदा पानी प्रवाहमान है। अरपा का स्वरुप तेजी से बदल रहा है।
अरपा विकास प्राधिकरण के गठन की सच्चाई
कहते हैं कि सपने वो नहीं जो नींद में आते है, सपने वो होते है जो नींद आने नहीं देते। इसी तरह जीवनदायनी अरपा नदी के बिगड़ते स्वरुप को बदलने बिलासपुर की जनता के दिलों में राज करने वाले विधायक अमर अग्रवाल नें भी लंदन की टेम्स नदी के तर्ज पर अरपा की दुर्दशा को सुधारने एक स्वप्न अरपा विकास प्राधिकरण नामक योजना बनाकर अरपा को बारहोंमासी प्रवाहमान करनें का दिव्य स्वप्न देखा था। योजना का गठन 5 नवंबर 2010 को हुआ। जो 2033 तक योजना पूर्ण होती। योजना के देख रेख के लिये कुल नौ पदाधिकारियों में संभागीय आयुक्त बिलासपुर को अध्यक्ष तथा बिलासपुर कलेक्टर को सदस्य सचिव सहित सात और अधिकारियों को सदस्य बना नगर निगम के पिंगलें भवन में दफ्तर भी खोला गया। ऑफिस में काम करने के लिये वर्ष 2011 मार्च में स्वीकृत सात पदों में महज दो ही कर्मचारी की संविदा नियुक्ति की गई। बाकी सभी पद आज पर्यन्त खाली है। कंसलटेंट ली ऐसोशियेटस साउथ ऐशिया प्राईवेट लिमटेड न्यू देहली नामक कंपनी नें 349,40 करोड़ रुपये के अनुबंध पर योजना की रुप रेखा तैयार की गई, जिसमें रुपरेखा तैयार करने शासन दवारा स्वीकृत राशि में कंपनी को 2 करोड़ 79 लाख 38 हजार रुपये का भूगतान भी कर दिया गया। जिसमें 360,05 हेक्टर शासकीय और 249,41 हेक्टर निजी भूमि अधिग्रहण, कुल 16,8 किलोमीटर की लंबाई पर मुल्यांकन समिति दवारा योजना की अनुमानित लागत 1673,80 करोड़ रुपये व सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी नीति अर्थात पी पी पी माॅडल पर तैयार किये जाने की बात थी। टेंडर भी हुए लेकिन रिजल्ट जीरो था। इसी बीच अरपा विकास प्राधिकरण के विरुध्द चार अलग -अलग लोगों दवारा हाई कोर्ट में याचिका भी दर्ज की गई है प्रकरण न्यायालय में लंबित है। ऐसे में लगभग सात बीत जाने के बाद भी योजना अधर में लटकी है।
मुंगेरीलाल के हसीन सपने साबित हुई अरपा विकास प्राधिकरण की योजना
प्रदूषित होती जीवनदायनी अरपा को लेकर योजनाऐं तो अनेक बनी लेकिन आधे अधूरे मन से। योजनाओं का केन्द्र अरपा के जल और रेत का दोहन तक ही सीमित रहा है। अरपा के शुद्धिकरण या उसके जल में पसरी गंदगी, कचरा ना फेंका जाय इसके लिये ना ही जिम्मेदार विभाग और जनप्रतिनिधयों दवारा कोई ठोस कदम उठाया गया। 5 नंवबर 2010 को अरपा के विकास के लिये अरपा विशेष क्ष्ेात्र विकास प्राधिकरण अरपा असाडा का गठन हुआ। जानकर आश्चर्य होगा कि अरपा साडा नें इन सात सालों में ऐसा कुछ नहीं किया जिससे उसे लक्ष्य की ओर बढ़नें में मदद मिले। आलम यह है कि अब तक योजना का डी पी आर ही तैयार नही हुआ। जिसके आधार पर अरपा के शुद्धिकरण या नदी को बारहोंमासी स्वरुप देने के लिये कदम बढ़ाया जा सके।
मंत्री जी के सपने नें कई परिवारों के सपनों को तोड़ा
योजना का उदेश्य था कि टेम्स नदी के तर्ज पर अरपा क्षेत्र विकास योजना के पूर्ण होने से ना केवल बिलासपुर शहर की सुन्दरता बढ़ेगी वर्ष भर जल का प्रवाह नदी में बने रहने से पानी का घटता जल स्तर भी कम होगा नदी के दोनों ओर आवागमन हेतु सड़क और पूल के निर्माण होने से लोगों को फायदा और बिलासपुर की खुबसूरती में चार चांद लग जायेगें। लेकिन अरपा विकास प्राधिकरण दवारा नदी के किनारे निवासरत हजारों परिवारों की निजी भूमि के खरीदी बिक्री पर प्रतिबंध लगा देने से सैकड़ों परिवारों के लोग अपनी घरेलू जरुरतों को पूरा करने में लाचार रहे ना बिमार का ईलाज करा पाये ना बेटियों के हाथ पीले हुए। इस प्रकार मंत्री जी के सपने नें कई परिवारों के सपनों को तोड़ दिया।
अरपा विकास प्राधिकरण योजना कागजों में,धरातल पर कुछ भी नहीं
अरपा असाडा का गठन निहित उदेश्य बिलासपुर शहर और उससे जुड़े गांवों तक सीमित रहा । जिससे होकर नदी संगम की ओर प्रवाहित होती है। योजना में अरपा के उदगम को पुनर्जीवित करने की मंशा नहीं है मुद्दे की जड़ ना पकड़कर तने और शाखा की बात सोची गई पर्यावरण के जानकारों के अनुसार शुरुवात होनी थी उदगम से संगम तक। असल में बिलासपुर का जल स्तर घटने लगा तो जल स्तर बढ़ाने के लिये अरपा में जल भराव की फिक्र की गई अरपा को जीवंत प्रवाहमान बनाऐ रखने के लिये ऐनीकट, बांध के निर्माण की दिशा पकड़ी गई होना यह था कि अरपा के उदगम के सुखने से लेकर उसके पूरे प्रवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिये सम्यक योजनाएं बनती। जिससे अरपा का प्रवाह बारहोंमासी हो जाता।
कांग्रेस के नेता नरेन्द्र बोलर नें कहा कि मंत्री की हर योजना फेल है योजना की आड़ में भ्रष्टाचार हो रहा है जमीन खरीदी बिक्री पर लगी रोक से जनता परेशान है भूमाफिया सक्रिय हो गये हैं पीड़ित व्यक्ति से अरपा प्रोजैक्ट पर बैठे अधिकारी हजारों रुपये लेकर जमीन खरीदी बिक्री की अनुमति दे रहे हैं । अधिकारियों द्वारा भूमाफियाओं को आवेदक का नाम पता देकर उसकी मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है। मंत्री जानकर अन्जान बन रहे हैं । उनका आरोप था कि मंत्री योजना अपने और अपने समर्थकों के लिये बनाते हैं ।
………………………………………...नरेन्द्र बोलर (शहर कांग्रेस अध्यक्ष बिलासपुर)
अरपा बचाओ अभियान से जुड़े सोमनाथ यादव का कहना था कि सपना देखना अलग बात है और उसे साकार करना अलग। शहर का जल स्तर लगातार गिर रहा है निगम दवारा कचरा डंप, शहर का गंदा पानी, मरुस्ािल हो रही है अरपा। विकास प्राधिकरण बने सात साल होने जा रहा है लेकिन धरातल पर शुन्य है कागजों पर कार्यवाही हो रही है संभागायुक्त अध्यक्ष हैं व कलेक्टर सचिव है और निगम कमिश्नर मुख्य कार्यपालन अधिकारी है लेकिन अधिकारी मौन है। आम जनता इस योजना के चलते परेशान है। वो कहते हैं कि अरपा प्रोजेक्ट के नाम पर सरकारी राजपत्र पर नाम प्रकाशित नहीं हुआ है।
…………………………………….सोमनाथ यादव (अरपा बचाओ अभियान)
ज्ूाना बिलासपुर निवासी शिवप्रसाद साव कहते हैं कि सीवरेज तो पूरा नहीं कर पा रहे हैं उपर से दिव्य स्वप्न देख कर अरपा विकास प्राधिकरण जैसी योजना ला दी गई है सबसे पहले सीवरेज पूरा करे जनता खुश हो जायेगी। अरपा प्रोजेक्ट के नियम कायदों से जनता परेशान है। अरपा नदी में अब गंदे नाली का पानी बहता है अरपा मैली हो गई है। ये कभी भी टेम्स नदी की तरह बन नही सकता जनता को दिग्भ्रमित ना करा जाय। ये दिखावा है सीवरेज को पूरा करके दिखलाऐं मंत्री ।
शिवप्रसाद साव जनप्रतिनिधि जूना बिलासपुर
सवालों में अरपा के हिमायती अमर
अरपा विकास प्राधिकरण के गठन को लेकर आमजन सहित सभी नें सराहा स्व लखीराम अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी और देश की राजनीतिक पटल में एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय के मोहताज नहीं। मंत्री अमर अग्रवाल को भी पिता से राजनीति विरासत में मिली लेकिन उन्होंने अपने राजनैतिक प्रतिव्दंिदयों को परास्त करते हुए जिले में ही नहीं वरन पूरे प्रदेष सहित देश में अपना कद बढ़ाया और बिलासपुर जिले के एक कद्दावर नेता के रुप में उभरे, छत्तीसगढ शासन में मंत्री के पद पर पिछले 14 सालों से छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहे है लेकिन क्या जिसे वो अपना ड्रीम प्रोजेक्ट अरपा विकास प्राधिकरण कहते हैं उसे धरातल में लानें उनकी पकड़ कमजोर हो रही है? अधूरे प्राजेक्ट और भूमि अधिग्रहण से जमीन की खरीदी बिक्री पर लगी रोक से आम जनता का विश्वास और जनाधार कमजोर हो रहा है? सीवरेज प्रोजेक्ट पूर्ण नहीं हो रहा और अरपा प्रोजैक्ट आरंभ, ऐसे में क्या केन्द्र और राज्य में उनका कद घट रहा है? या केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद भी योजना के लिये राशि की स्वीकृति ना होना पाना कहीं ये मंत्री के खिलाफ ये कोई राजनैतिक षड्यंत्र तो नहीं?
बहरहाल देखना होगा कि मंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट अरपा विकास प्राधिकरण क्या अरपा नदी का भविश्य संवार पायेगा या फिर यह प्रोजेक्ट मंुगेरीलाल के हसीन सपनों की तरह सपना ही रह जायेगा।