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एक आदिवासी परिवार की दो पीढ़ियों का हो गया अंत,पढ़िए पूरी खबर

अवैध पत्थर उत्खनन करते खदान धसकने से पिता-पुत्र की मौत

सूरजपुर-(विष्णु कसेरा):-घर से 50 मीटर दूर महज 15 फीट गहरी गिट्टी खदान से पत्थर उत्खनन करते वक्त ऐसा हादसा हुआ, की मासूम बेटे के साथ पिता भी हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गया। हादसे के बाद इस आदिवासी परिवार में अब कोई भी पुरुष सदस्य नहीं बचा। एकमात्र बूढ़ी मां शेष बची है। जिसका रो-रो कर बुरा हाल है।

गौरतलब है कि सूरजपुर जिले के रामानुजनगर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत तेलसरा के बंचरपारा निवासी मोतीलाल सिंह 28 वर्ष अपने इकलौते पुत्र गणेश सिंह 4 वर्ष को लेकर घर के सामने महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित 15 फीट गहरी पत्थर खदान से पत्थर उत्खनन कर रहा था, सुबह करीब 9 बजे अचानक जिस खदान को वह खोद रहा था। वह खदान दशक गई और पिता मोतीलाल व पुत्र गणेश दोनों उस खदान की मिट्टी में दब गए। जिससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई।

धूल के गुब्बार को देख बूढ़ी मां को हुआ हादसे का अंदेशा

मृतक मोतीलाल गोंड के परिवार में 3 सदस्य थे, इकलौते पुत्र गणेश के अलावा उस परिवार में  60 वर्षीय बूढ़ी मां खुलासों बाई थी, जो घटना के वक्त घर में बैठी थी, बूढ़ी मां खाना बना कर अपने पुत्र और पोते का इंतजार कर रही थी। उसी दौरान उसने खदान के पास से धूल के गुब्बार को उड़ते देखा तो वह खुद को रोक नहीं पाई और जाकर देखी तो उसके होश उड़ गए। उसने चित्कार लगा-लगा कर पड़ोसियों को बुलाया और लाश को बाहर निकाल कर देखा लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। दोनों हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गए थे। दुर्भाग्य यह है, कि अब इस परिवार में वंश वृद्धि के लिए कोई नहीं बचा। मृतक बेटे मोतीलाल की पत्नी का एक साल पहले ही देहांत हो चुका था।

पुलिस ने किया मौके पर पंचनामा और सरपंच ने बनाई अंत्येष्टि की व्यवस्था

इस ह्रदय विदारक घटना को सुनकर मौके पर पहुंची सूरजपुर पुलिस के उपनिरीक्षक देवनारायण पैकरा की टीम ने ग्रामीणों और परिजनों की उपस्थिति में शव का पंचनामा कर खदान से बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए सूरजपुर भेज दिया। वहीं परिवार के दुख को देख कर गांव की सरपंच उर्मिला सिंह पोर्ते ने अंत्येष्टि के लिए लकड़ी और अन्य व्यवस्था बनवाई।

गौण खनिज के अवैध उत्खनन पर रोक लगाने प्रशासन रही है असफल

जिले में बड़ी मात्रा में गौण खनिज का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जाता है। जिले में संचालित गिट्टी व्यवसाय में 90% पत्थरो की आपूर्ति अवैध पत्थर खदानों से ही होती है, गांव-गांव में पत्थर की अवैध खदान खतरों के बीच संचालित हो रही है, राजस्व और वन आमला सदैव इन अवैध खदानों की अनदेखी करती रही है, जिसका परिणाम अक्सर ऐसे हादसों के रूप में देखने को मिलता है। जिले में छुई खदान, मुरूम खदान, कोयला खदान, और गिट्टी की खदानों में अक्सर ऐसे हादसे देखने और सुनने को मिलते हैं, फिर भी प्रशासनिक स्तर पर इन्हें रोकने कोई सार्थक पहल नहीं की जाती है।

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