
बिलासपुर/ कमिश्नर प्रभाकर पाण्डेय एक्शन में हैं। मंगलवार को उन्होंने सॉलिड एंड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत बनी आरडीएफ प्लांट का जायजा लिया। यहां उन्होंने नोडल अधिकारी अनुपम तिवारी को प्लांट चलाने की अनुमति से जुड़े कार्रवाई को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया।
मेसर्स दिल्ली एमएसडब्ल्यू सल्युशन लिमिटेड के प्रबंधक टीके. मुरलीधरन ने आरडीएफ और खाद बनाने की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले कचरा को डंप कर रखा जा रहा है। इसके बाद इसे 75 एमएम की मशीन में डाला जाएगा। यहां से सेग्रिगेशन होकर यह दुकड़ों में बंटने के साथ अलग-अलग होगा। इसके बाद इसे 25 एमएम की मशीन में डाला जाएगा। 25 एमएम की मशीन में दो स्टेप में सेग्रिगेट होगा। इसमें एक जगह से जो मशीन के बीच से नीचे गिरेगा वह खाद् बनेगा और मशीन के अंतिम छोर से जो कचरा गिरेगा वह आरडीएफ बनेगा। 25 एमएम की मशीन के बीच से गिरने वाले कचरा को फिर से 4 एमएम की मशीन में सेग्रिगेशन किया जाएगा। चार एमएम की मशीन में सेग्रिगेशन के बाद यह खाद् बनेगा। इससे पहले कचरे का मॉसचर को एरिएशन बे से सूखाया जाएगा। ऐसा नहीं हैं कि कमिश्नर कर्मचारियों के लिए सख्त हैं बल्कि उन्होंने आरडीएफ प्लांट के कार्यों की जमकर तारीफ की। हालांकि उन्होंने बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोज पर नाराजगी जताई। दरअसल आरडीएफ प्लांट के पास ही एक बायोमेडिक वेस्ट डिस्पोज प्लांट है, लेकिन मौके के निरीक्षण करने में बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोज न होकर इधर-उधर बिखराव मिला।